यौन संचारित रोग (Sexually transmitted diseases)
नमस्कार दोस्तो कैसे हो आप सब उम्मीकरता हूँ कि आप सब कुशल मंगल होंगे। तो आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ कि यौन संचारित रोग क्या होते हैं? इनसे बचने के क्या उपाय हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
जो संक्रमण रोग मैथुन के माध्यम से संचारित होते है उन्हें यौन संचारित रोग (STD) या रतिज रोग (Venereal diseases – (VD) वा जनन मार्ग संक्रमण (reproductive tract infection RTI) कहा जाता है, सुजाक, सिफिलिस, हपस, क्लेमिडियता, ट्रोइकोमोनसम, लैंगिक मस्म, यकृत शोथ – B HIV/AIDS (Gonorrhoea, Syphilis, genital herpes, Chlamydiasis, genital warts, trichomoniasis, hepatitis B and HIV/AIDS) आदि रोग है।
HIV/AIDS तथा यकृत शोथ-B संक्रमित व्यक्ति से साझे की सूई के प्रयोग से, रक्त ट्रांसफ्यूजन से, संक्रमित व्यक्ति के साथ संभोग से, संक्रमित माँ से गर्भस्थ बच्चे को संचारित हो सकते है। इनका सूक्ष्म विवरण निम्नवत है-
इन सभी रोगों का संक्रमण होने पर उचित उपचार योग्य चिकित्सक से कराना चाहिए। बिना उपचार के रोग बढ़ जाता है। कभी-कभी घातक भी होता है। इससे अन्य अंगों में भी संक्रमण का खतरा रहता है।
संक्रमण से बचने के उपाय
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- अनजान व्यक्ति से संभोग न करो।
- अनेक व्यक्तियों से यौन सम्बन्ध न रखें।
- संभोग के समय कन्डोम का प्रयोग करें।
- रोग होने पर योग्य चिकित्सक द्वारा उपचार तुरन्त करायें।
मुख्य यौन संचारित रोग
गोनोरिया (Gonorrhoea)
यह Nersseria gonorrhoeine नामक जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मैथुन के समय फैलता है।
लक्षण (Symptoms): पुरुषों में इस रोग के संक्रमण के फलस्वरूप मूत्रमार्ग में जलन होती है तथा सूजन आ जाती है। शिश्न के सिरे पर पीले-हरे रंग का विसर्जन दिखाई देता है। मूत्र की अम्लीयता के कारण अत्यधिक जलन होती है। बद में संक्रमण प्रॉस्टेट ग्रन्थि तथा मूत्राशय तक फैल जाता है। स्त्रियों में संक्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है किन्तु से वाहक का कार्य करती है।
उपचार (Treatment) एन्टिबॉयोटिक्स से लाभ पहुंचता है।
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सिफलिस (Syphilis)
इस रोग का कारण ट्रैपोनेमा पैलिडम (Treponema patiatom) जीवाणु है। पुरुष में संक्रमण के 9-10 दिन बाद शिश्न पर लाल रंग के दाने दिखाई देने लगते हैं। कुछ सप्ताह के बाद ये दाने लुप्त हो जाते हैं।
स्त्रियों में भी लेखिया व पोनि में इसी प्रकार के दाने दिखाई देते हैं। स्त्री व पुरुष दोनों में 1-6 माह बाद समस्त शरीर पर चकते पड़ जाते हैं। इसके बाद मे जीवाणु हृदय, यकृत तथा अस्थियों व मस्तिष्क को भी प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क के संक्रमित होने पर शरीर को लकवा भी मार सकता है।
उपचार (Treatment) : पेनिसिलिन एन्टीबायोटिक द्वारा इस रोग में लाभ पहुंचता है।
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जननांगों की हर्पिस (Genital Herpes)
यह हर्पिस सिम्पलैक्स वाइरस (Herpes simplex virus) द्वारा होती है। पुरुषों में शिश्न (penis) में अत्यधिक दर्द होता है।। स्त्रियों में बल्का और योनि में छाले बन जाते है और दर्द होता है।
इसका कोई निश्चित उपचार नहीं है। दर्द निवारक दवाएँ और लैंगिक संयम बरतना चाहिए। एसाइलोवीर नामक दवा से राहत मिल सकती है।
ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis)
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यह ट्राइकोमोनास वेजिनेलिम (Trichomonas vaginalis) नामक प्रोटोजोअन से होता है। इसमें योनि में खुजली होती है।और सफेद रंग का पानी निकलता है। इसके उपचार में ऑरियोमायोसिन (Aurcomycin) तथा टेरामाइसिन (Terramycin) नामक दवाएँ प्रयोग की जाती है। विशेष बात यह है कि स्त्री व पुरुष दोनों का उपचार एक साथ करना पड़ता है।रोग होने पर योग्य चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।