यमुनोत्री धाम भारत देश के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह चार धामों में से एक पवित्र धाम माना जाता है।यह एक हिंदू धर्म मंदिर है। यह समुद्र वाले 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर ऋषिकेश से 200 किलोमीटर की दूरी आस-पास स्थित है। तथा यहाँ पर गाड़ियां यमुनोत्री के हनुमान चट्टी गाँव तक राेड़ जाती है। जो हनुमान चट्टी से 14 किलो०मीटर की दूरी पैदल मार्ग मन्दिर तक जाना पड़ता है तथा यहाँ पर घाेडे की की व्यवस्था भी है। यहां पर हल्के वाहन जंगल चट्टी से 5 किलो०मीटर की दूरी पैदल मार्ग जाना पड़ता है।
यमुनोत्री धाम का परिचय

यह उत्तराखंड काे देवभूमि के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यहाँ पर जगह-जगह देवी देवता निवास करते हैं। यमुनोत्री में भी यमुना किनारे बसा एक पवित्र धाम है। जो हिमालय की तलहटी पर बसा एक पवित्र धाम है। जो चार धामों में से पहला धाम माना जाता है। जो एक प्राचीन मंदिर है।सन 1855 में टिहरी के राजा सुरदर्शन शाह ने यमुनोत्री धाम एक छोटा मन्दिर का निर्माण कराया था। जाे सन 1919 भूकंप आने के कारण इस बार मंदिर त्रासदी (खत्म) हाे गया था। फिर इसका पुनःनिर्माण जयपुर की महारानी गलेरिया द्वारा किया गया। तथा आज तक यह मंदिर वही पर स्थित है।
यमुनोत्री धाम का इतिहास
यमुनाेत्री धाम यमुना नदी के किनारे बसा एक पवित्र धाम है। माना जाता है कि यमुना देवी सूर्य देवी की पुत्री, मृत्यु के देवता यमराज की बहन मानी जाती है। जब देवी यमुना पृथ्वी के टोंक में अवतरित हुई तो उन्होंने अपने भाई यम को छाया दूज (बीमारी) से मुक्त कराने के लिए घाेर तपस्या की और अपने भाई को छाया दूर (बीमारी) से मुक्त करा दिया। अपनी बहन यमुना की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान यम ने कहा आप हमसे कोई भी वरदान मांगना।

तब यमुना ने अपने जल काे स्वच्छ और निर्मल ,राेगाें मुक्त से करने का बरदान मागाा। तब यम जो भी आपके जल से नहायेगाा वह शारीरिक रोगों से मुक्त हो जाएंगे। माना जाता है कि यमुना नदी में नहाने से अकाल मृत्यु से मुक्ति हो जाएगी। यहां पर प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यमुनोत्री धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष मई से लेकर न अक्टूबर लास्ट तक खुला रहते हैं।
यमुनोत्री धाम का रहस्य
माना जाता है कि प्राचीन समय से आ रही परंपराओं से यहां पर अनेक प्रकार के रहस्य छिपे हैं यहाँ पर दाे कुण्ड है। 1- (सूर्य कुंड) सूर्यकुंड में यहां पर पृथ्वी के अंदर से गरम पानी आता है। यहां पर कपड़े की पोटरी में चावल डालकर पकाते हैं। तथा यह प्रसाद मंदिर के रूप में ग्रहण करते हैं। 2- (गौरीकुंड) गौरीकुंड में यहां पर शीतल जल आता है। तथा यहां पानी अपने घर के देवी देवताओं के शुद्धिकरण के लिए प्रयोग किया जाता है।
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