परागण (Pollination) संसार के सभी प्राणियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्रिया है। यह एक बायोलॉजिकल प्रक्रिया है जिसमें परागकण (Pollen Grains) को पुष्प के एक हिस्से से दूसरे हिस्से पर ले जाया जाता है, ताकि फल और बीज उत्पन्न करने की प्रक्रिया हो सके। यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पौधों के द्वारा बीज और फलों के निर्माण की संभावना बढ़ाता है, जिससे नए पौधों का जन्म होता है।
परागण (Pollination) किसे कहते हैं?
पौधों में परागकण (pollen grains) का नर भाग से मादा भाग में स्थानांतरण ही परागण कहलाता है। अर्थात पौधों में परागकण का नर भाग (परागकोष-Anther) से मादा भाग (वर्तिका-Stigma) पर स्थानांतरण ही परागण (Pollination) कहलाता है। और साथ ही परागण के उपरांत निषेचन (Fertilization) की क्रिया होती हैैैैै ।और प्रजनन (reproduction) का कार्य भी आगे बड़ता रहता है।

परागण के प्रकार (types of pollination)
- स्वयं परागण (Self Pollination): यह प्रक्रिया तब होती है जब परागकण (Pollen Grains) एकीकृत पुष्प (the same flower) या उसी पौधे के अन्य पुष्पों में स्थानांतरित होते हैं। यह अपवित्रीकरण (fertilization) के लिए अवश्यक परागकण प्रदान करता है।
- पर-परागण (Cross Pollination): इस प्रक्रिया में परागकण (Pollen Grains) एक पुष्प से दूसरे पुष्प में स्थानांतरित होते हैं। यह प्रक्रिया हवा, पानी या प्राणियों (जैसे की मक्खी, भौंरे, पंछी और तितलियाँ) द्वारा संभव होती है।
स्वपरागण (self-pollination)
स्वपरागण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी पुष्प में परागण उसी के पराग द्वारा होता है, अर्थात जब परागण की क्रिया एक ही पादप के नर और मादा जनन अंगों तक सीमित हो तो इसे स्वपरागण कहते हैं। तथा स्व परागण पुष्प द्वीलिंगी होते हैं और यदि एकलिंगी होते है तो नर व मादा एक ही पौधे पर स्थित होतेे हैं। और नर और मादा जननांग एक साथ परिपक्व होते हैं। और साथ तुम ही पुंकेसर व स्त्रीकेसर पुष्प में इस प्रकार स्थित होते हैंं कि परागकण आसानी से वर्तिकाग्र पर गिर जााते हैं।
परपरागण (cross-pollination)
परपरागण वह प्रक्रिया है जिसमें जब परागण उसी पौधे की दो फूलों में, या फिर उसी जाति के दो पौधों, के बीच होता है। अर्थात जब जब दो अलग-अलग पौधों के जननांग सम्मिलित हो तो इसे परपरागण कहते हैं। उदाहरण के लिए – यदि एक पुष्प के परागकण दूसरी पौधेे के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तब उसेेेेे परपरागण कहा जाता है। तथा परपरागण पुष्प द्विलिंगी व एकलिंगी भी हो सकते है जिसमें की नर व मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर लगे हो सकते हैं। और परपरागण में पुष्प के नर व मादा जननांग अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं।
परागण (Pollination) के प्रमुख प्रभाव | Main Effects
- वनस्पति विविधता (Plant Diversity): परागण के माध्यम से, पौधे विविधता और आवश्यक आधान प्रधान (genetic variation) को बढ़ावा देते हैं।
- खाद्य उत्पादन (Food Production): अधिकांश फल और सब्जियां परागण पर निर्भर करती हैं, इसलिए यह खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- पर्यावरण (Environment): परागण द्वारा वनस्पति जगत की विविधता और स्थायित्व को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे पर्यावरण की स्वस्थता बढ़ती है।
परागण (Pollination) से संबंधित प्रश्नोत्तर | FAQ
1. परागण (Pollination) क्यों महत्वपूर्ण है?
परागण पौधों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फल और बीजों के निर्माण की प्रक्रिया को संभव बनाता है। इसके बिना, पौधे नई पीढ़ी को जन्म नहीं दे सकते हैं, जिससे जीवन का चक्र रुक जाता है।
2. क्या परागण (Pollination) केवल पौधों के लिए ही महत्वपूर्ण है?
नहीं, परागण हमारे आहार और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। अधिकांश फल और सब्जियां परागण पर निर्भर करती हैं। यह वनस्पति जगत की विविधता और स्थायित्व को बढ़ावा देता है।
3. कैसे हम परागण (Pollination) को बढ़ावा दे सकते हैं?
हम मधुमक्खी पालन (Beekeeping) करके, परागण करने वाले प्राणियों के लिए आवास तैयार करके, और पौधों की विविधता बढ़ाकर परागण को बढ़ावा दे सकते हैं।