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विद्युत आवेश तथा कूलाम का नियम (Electric charge and Coulomb’s law)

विद्युत आवेश तथा कूलॉम का नियम (Electric charge and Coulomb's law)

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ, कक्षा 12 भौतिक विज्ञान से सम्बंधित महत्वपूर्ण विषय जो पहले अध्याय से है। जो विद्युत आवेश तथा कूलाम के नियम के बारे में है। कूलम्ब एक SI व्युत्पन्न इकाई है जिसका अर्थ है एक एम्पीयर प्रति सेकंड। हालांकि, कुछ हद तक विरोधाभासी रूप से यह वास्तव में प्राथमिक चार्ज को 1.602176634 × 10^-19 कूलम्ब पर तय करके सीधे परिभाषित किया गया है। तब एम्पीयर की मूल इकाई को एक सेकंड में एक कूलम्ब के रूप में परिभाषित किया जाता है और व्युत्पन्न इकाई कूलम्ब को वर्तमान एम्पीयर एक सेकंड में ले जाता है। वास्तव में उन्हें केवल आधार इकाई के रूप में एम्पीयर को कूलम्ब से बदलना चाहिए।

वैद्युत आवेश

किसी पदार्थ के वैद्युतमय हो जाने पर (रगड़ना, घर्षण, इलेक्ट्रान की गति) की घटना को वैद्युत आवेश कहते हैं। वैद्युत आवेश का मात्रक ‘कूलाम’ होता है। यह दो प्रकार के होते हैं। एक कूलम्ब विद्युत आवेश का माप है। विद्युत धारा का एक एम्पीयर एक कूलम्ब प्रति सेकंड है।

  1. धनावेश
  2. ऋणावेश

जब कांच की छड़ को रेशम से रगड़ा जाता है, तो उस पर धनावेश तथा जब आबूनस की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है तो उस पर ऋणावेश आ जाता है।

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Note- सजातीय विद्युत आवेश हमेशा एक-दूसरे को प्रतिकर्षित तथा विजातीय विद्युत आवेश हमेशा एक-दूसरे को आकर्षित करते रहते हैं।
विद्युत आवेश तथा कूलॉम का नियम (Electric charge and Coulomb's law)
विद्युत आवेश तथा कूलाम का नियम (Electric charge and Coulomb’s law)

वैद्युत आवेश के लिए इलेक्ट्रॉन सिद्धांत

इलेक्ट्रॉन सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु का धनावेशित हो जाना उसके परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कमी को प्रदर्शित कर्ता है। तथा वस्तु का ऋणावेशित हो जाना उसके परमाणुओं इलेक्ट्रॉन की अधिकता को प्रदर्शित करता है।

वैद्युत आवेश का सरंक्षण

वैद्युत आवेश को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है।

मूल आवेश

न्यूनतम सम्भव आवेश जो किसी आवेशित कण पर हो सकता है, मूल आवेश कहलाता है। तथा इसे (e) से प्रदर्शित करते हैं। किसी भी वस्तु, कण, आयन का आवेश e के पूर्व गुणज होता है। आवेशों को अनिश्चित रूप से विभाजित नही किया जा सकता है।

q = ne

कूलाम का नियम

कूलाम के नियम के अनुसार यदि दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनो आवेशों के मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्तक्रमानुपाती होता है। यह आकर्षण ओर प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है, कूलाम का नियम कहलाता है।

CDC7AF1B 0156 4480 B398 AF446334C2EA

माना दो स्थिर बिंदु आवेश q1 व q2 है तथा इनके बीच की दूरी r है तो इनके बीच लगने वाला बल-

F ∝ q1q2        …….(1)
F ∝ 1/r2           .……(2)

समी0 (1) व (2) से F = K q1q2/r2 जहां K अनुक्रमानुपाती नियतांक है और वायु तथा निर्वात में इसका मान 9×109 nm2/c2 होता है। सुविधा के लिए K को 1/4πE लिखा जाता है जहां E को निर्वात की विद्युतशीलता कहते हैं।

F = 1/4πE× q1q2/r2

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