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उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल में कितने जिले हैं?

उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश से 2000 में अलग हुआ था। किसकी सिफारिश बहुत पहले से चल रही थी। तब जाकर 2000 में उत्तराखंड राज्य अलग हुआ था। उत्तराखंड में कुमाऊं गढ़वाल में गढ़वाल में 13 जिले हैं कुमाऊं में 6 जिले और गढ़वाल में 7 जिले हैं। तथा यहां पर विधानसभा की 70 सीटें हैं। कुमाऊ की स्थापना 1854 ई० में हुई थी। तथा गढ़वाल की स्थापना 1969 ई० में हुई थी। तथा यहाँ पर लोकसभा की 5 सीटें हैं और राज्य सभा कि 3 सीट है। तथा उच्च न्यायालय नैनीताल है, और हाई कोर्ट दिल्ली में है।

उत्तराखंड के जिले
उत्तराखंड के जिले

कुमाऊं में 6 जिले

पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ जिले की स्थापना 1960 में हुई थी। इससे पहले यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य में था। यह एक पहाड़ी इलाका है। जिसमें सीढ़ीदार खेत पाए जाते हैं। तथा यहां पर हरे भरे पेड़ पौधे वनस्पतियां पाई जाती है। यहां पर नदी और घाटियां वे काफी मात्रा में है। तथा यहां का आय मुख्य स्रोत कृषि , और पशुपालन इत्यादि है। तथा यहां पर रोजगार के इतने साधन नहीं है क्योंकि और पहाड़ी होने के कारण यहां पर इतना विकास नहीं हो पाता है।

बागेश्वर

बागेश्वर जिले को धार्मिक जिला भी कहां जाता है क्योंकि यहां पर असंख्या के देवी देवता और ऋषि मुनियों के तपोभूमि है। पथा यहां पर भागीरथी का संगम के किनारे बसे शिव नगरी भी कहा जाता हैं। माना जाता है कि यहां पर महात्मा गांधी जी ने भी कुछ समय यहां पर बताया था तथा इस क्षेत्र की काफी तारीफ भी की थी। तथा एवं भारत का बागेश्वर काे स्विजरलैंड भी कहा जाता हैं।

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा पहाड़ की गोद में एक सुंदर जिला है जिसमें किस्म किस्म के पेड़ पौधे और वनस्पति इत्यादि पाए जाते हैं। यहां पर समतल भूमि पाई जाती है। तथा यहां पर अनेक प्रकार के मंदिर जैसे कसार देवता नंदादेवी , अष्ट भैरव आदि प्रकार के प्रकार देवी देवता के मन्दिर है। 1563 मैं यहां पर चंद्र वंश के राजा रहा करते थे। उसके बाद यहां पर कत्यूरी वंश के राजाओं का शासन रहा था। 18 वीं शताब्दी में यहाँ पर गोरखा शासन आया था।

उत्तराखंड के जिले
उत्तराखंड के जिले

नैनीताल

नैनीताल उत्तराखंड का झीलों की रानी भी कहा जाता है। यहां पर खूबसूरती से भरा हुआ जिला है। यहां पर कई झिलें है। जिन से इन्ह झिलाें से कई प्रकार के फायदे मिलता है। जैसे नाव से तैरना के लिए काफी लोगों को पसंद है तथा इन जिलों से सिंचाई के लिए भी पानी है पानी का प्रयोग किया जाता है। सन 1841 एक पुस्तक के द्वारा नैनीताल का विस्तृत वर्णन किया गया था । 1857 में यहाँ पर पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया था।

चंपावत

चंपावत सबसे पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था सन 1972 में फिर यह पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा भी रहा था। 15 सितंबर 1997 में या फिर चंपावत जिले के रूप में देखा गया । सबसे पहले यहां का राजा अर्जुन की पुत्री चंपावती के नाम से चंपावत का नाम रखा गया था। यहां भारत और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा भी है।

उधम सिंह नगर

यह उधम सिंह नगर जिला 20 सितम्बर 1995 में बनाया गया था। पहले ही नैनीताल जिले का हिस्सा था। तब वहां से अलग होकर उधम सिंह नगर बनाया गया। इसकी सीमा नेपाल से भी लगती है तथा उत्तर पश्चिमी बॉर्डर की सीमा भी इस जिले से मिलती है। तथा यहा पर उद्योग क्षेत्र में काफी है।

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गढ़वाल में 7 जिले

उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जिले का निर्माण 24 फरवरी 1960 में किया गया था। यह भागीरथी नदी के किनारे बसा एक पवित्र जिला है। यहां गोमुख से गंगोत्री धाम में पड़ता है तथा यहां पर पर्वतीय होने की कारण जहां पर पर्वतारोही लाेग भी आते रहते है। इससे पहले यह जिला चमोली टिहरी पाैडी का हिस्सा था

देहरादून

यह एक एक अवस्था यह राजधानी है। जिसमें कहीं प्रकार के औद्योगिक क्षेत्र हैं यहां पर लाखों की संख्या रोजगार मिलता है। यह मैदानी होने के कारण के यहां पर काफी विकासशील हैं। तथा यहाँ पर कहीं प्रकार के रोजगार भी मिलते हैं । तथा यह मैदानी हाेने के कारण कहीं प्रकार की खेती की जाती है।

टिहरी

यह ऐक पहाड़ी इलाका है जिसमें एशिया का सबसे बड़ा डैम है। तथा डैम विद्युत परियोजना से किया गया है उत्तर भारत के लिए कई राज्यों के लिए पानी भी देता है। तथा यहां से मैदानी इलाके के सिंचित भूमि के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है। टिहरी जिला रुद्रप्रयाग पौड़ी चमोली जिले से मिलकर बनाया गया है।

रुद्रप्रयाग

उत्तराखंड के जिले
उत्तराखंड के जिले

रुद्रप्रयाग जनपद का निर्माण 1997 में किया गया था । यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के किनारे बसा एक पवित्र जिला है। इस जिले में कई देवी देवता में निवास करते हैं। या उत्तराखंड जिलों में से सबसे छोटा जिला तथा यहां की जनसंख्या 1लाख के हैं। तथा इस जिले में केदारनाथ मंदिर धाम भी स्थित है। तथा यह पवित्र धाम है।

चमोली

चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम में स्थित है यहां पर हेमकुंड साहिब और और फूलों की घाटी में स्थित है। तथा इस जिले से तिब्बत और चीन की सीमा भी लगती है। तथा यह उत्तराखंड के दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा जिला है। तथा यहाँ पर नंदा देवी राज यात्रा भी स्थित है।

पौड़ी

यहां समुद्र तल से 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तथा यह क्षेत्र में काफी छोटा है। तथा क्षेत्र काफी सुहावना है। यहां पर कई प्रकार की जड़ी बूटी और पेड़ पौधे पाए जाते हैं। तथा यहां का टेंपरेचरगर्मियों में 40 सेंटीग्रेड तक पहुंचता है।

हरिद्वार

हरिद्वार में कई प्रकार के औद्योगिक क्षेत्र है जिन से कई लोगों को रोजगार मिलता है। बता यहां पर बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट जिनसे लोग पढ़ाई करके बाहर बाहर विदेश में जाते हैं। तथा यहां पर कृषि उपजाऊ भूमि काफी मात्रा में है। जिनसे कई लोगों को रोजगार मिलता है। यह पवित्र भूमि है। जहां से गंगा मैदानी इलाके तक पहुंचती है।

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