ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग भारत के विकास एवं समृद्धि की रीढ रहा है। उत्तराखंड की समृद्धि एवं विकास भी ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग पर बहुत कुछ निर्भर करता है तथा उत्तराखण्ड में लघु एवं कुटीर उद्योग का अपना एक विशिष्ट स्थान है। तथा उत्तराखंड के अर्थव्यवस्था कुटीर उद्योगों की प्रमुख भूमिका है ग्रामीण जनसंख्या का जीवन स्तर एवं उनकी बेकारी की समस्या हमें केवल कृषि द्वारा नहीं सुलझा सकते। उत्तराखंड हिमालय में तो कुटीर उद्योग एक अपना महत्वपूर्ण स्थान है तथा यहां पर कुटीर उद्योगों की महत्वपूर्ण संभावनाएं है। किंतु यहां पर परिवहन, प्रौद्योगिकी व प्रशिक्षण आदि बधाएं हैं। जिसमें निम्नलिखित कुटीर उद्योग उधाेग हैं।

मधुमक्खी पालन
उत्तराखंड में अनेक स्थानों पर मधुमक्खी पालन का कार्य किया जाता है। तथा मधुमक्खी पालन से अनेक फायदा हैं जैसे- खाँसी में दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है। राज्य सरकार ने वर्ष 1938 में ज्याेतिष काेट में मधुमक्खी पालन का केंद्र की स्थापना की। वर्ष 1939 में प्रवासी मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया और वर्ष 1955 में मधुमक्खी शिशु पालन की स्थापना ज्याेली काेट और रामनगर में की गई।
रेशम उद्योग
रेशम उद्योग के कीड़े पालने के लिए शहतूत के वृक्षों को लगाने का कार्य देहरादून पौड़ी गढ़वाल जिले में किया गया रेशम सहकारी संघ प्रेम नगर देहरादून में कीड़े कीड़ों के पालने तथा काेकून उत्पन्न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस उधाेग काे बढाने के लिए प्रशिक्षण एवं अनुसंधानअनुसंधान केन्द्रों तथा सहकारी समितियों की स्थापना की गई है। इसके अलावा उत्तराखण्ड में काष्ट उधाेग व हथकरघा उधाेग का भी विकास किया जाता हैं।
ऊनी शाल एवं अन्य वस्त्राेद्योग
उत्तराखंड में ऊन बुनने कातने तथा ऊनी सामान बनाने के लिए नाै प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र में बागेश्वर, अल्मोड़ा, भीमताल, देवलगढ़ (पौड़ी),छाम (टिहरी) , प्रेमनगर (देहरादून), भद्रतत्ला (चमोली) तथा पिथौरागढ नामक स्थानांतरित पर खाेले गये हैं।
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कृषि आधारित उद्योग
उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार की फल सब्जियां पूरे साल उगाने के लिए उपयुक्त स्थिति भौगोलिक और जलवायु विद्यमान है उत्तराखंड की जलवायु 1000 से 3000 मीटर की ऊंचाई मैं शीतोष्ण फल सेब आडू खुमानी चेरी अखरोट अनार माल्टा के उत्पादन के लिए अनुकूल है आम लीची केला अमरूद पपीता आदि फलों की पैदावार के लिए 300 से 400 मीटर की ऊंचाई वाले अनुकूल है

अन्य छोटे उद्योग
एक अध्ययन के अनुसार यहां लगभग 500 प्रकार की जड़ी बूटी में पाई जाती हैं जिनका दोहन करने के साथ-साथ उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है कहीं मध्य व उच्च पर्वतीय क्षेत्रों मैं रिंगाल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के बर्तन, और चटाई, वह वस्तु बनाने में प्रयोग किया जाता है।
दाल और धान की जिला
उत्तराखंड के कई स्थानों पर दाल और धान का छिलाई का कार्य किया जाता है इसमें अधिकांश इकाइयां हल्द्वानी, नैनीताल, काशीपुर, उधमसिंह नगर,चंपावत, तथा देहरादून, में अवस्थित है।
दीया सिलाई उद्योग
वन की लकड़ियों की उपलब्धता के कारण उत्तराखंड के अनेक स्थानों पार दीया सिलाई का उद्योग पनपा है। यह उधाेग नैनीताल उधम सिंह नगर हरिद्वार देहरादून अल्मोड़ा आदि जनपदों में क्रियाशील है।
जूते चप्पल का निर्माण
जूते चप्पल और संबंध वस्तुओं का निर्माण कार्य चिरकाल से चला आ रहा है। यहां पारंपरिक कुशलता वह कारीगरी पर आधारित कार्य है देशी जिस्म जूतों का निर्माण स्थानीय चमड़ाे से किया जाता है। इसमें अधिकांश कार्य नैनीताल, हल्द्वानी, काशीपुर, से किया जाता है।
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