
मनुष्य के द्वारा प्राकृतिक या माननीय छेड़छाड़ के कारण पर्यावरण पर जो भी प्रभाव ( पेड़ पौधों काटना) पड़ता है। तथा प्रकृति के उस दुष्प्रभाव को आपदा कहते हैं। तथा उत्तराखंड में पर्वतीय होने के कारण यहां पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। इन में से कुछ आपदाएं पेड पौधो से काटके भी आती हैं।
उत्तराखंड की मुख्य आपदाएं
उत्तराखंड पर्वती होने के कारण यहां पर अनेक प्रकार की अपदाओं का सामना करना पड़ता है। यह निम्न प्रकार से है जैसे- भूकंप भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़ आना, बाढ़ से भूस्खलन , ऑल बारी आदि
भूकंप
जब पृथ्वी के की परतें इधर-उधर खिसक जाती है तथा इन परतों के कारण भूकंप आने लगता है। भूकंप को उत्तराखंड काे जाेन पांच में रखा गया हैं। जॉन 4 के जिले, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, उधम सिंह नगर हैं। जाेन 5 के जिले, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़ ,चंपावत, जिले हैं।
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भूस्खलन

जब कई पर पानी रुक जाता है। या पर्वतीय क्षेत्र में ज्यादा बर्फबारी होती है। उस पानी के रुक आओ के कारण उस पानी काे रास्ता ना मिलने के कारण वह पानी कई भी गुस जाता है जिस कारण भूस्खलन हाेता है। या यदि किसी क्षेत्र में पेड़ पौधे ना होने के कारण वहां की मिट्टी खिस्सकती रहती है। जिस कारण भूस्खलन की हालात बन जाती है। जिसे भूस्खलन कहा जाता है। तथा यह भूस्खलन सबसे ज्यादा पर्वतीय क्षेत्र में देखा जाता है।
बादल फटना
बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा भी कहा जाता है। क्योंकि यह आसमान से चमकती बिजली के कारण पृथ्वी से टकरा जाती है। जिसे बादल फटना कहा जाता है। या आसमान से चमकती बिजली किसी पेड़ पौधे से टकराना या किसी बिजली के खंभे से टकराना की बादल का फटना कहा जाता है। बादल पढ़ना सबसे ज्यादा बरसात के समय होता है।
बाढ़ आना

जब कभी ज्यादा बारिश होती है। मार्ग संकरा होने के कारण अपनी जगह से दूसरी जगह कटान करना या ज्यादा पानी होने के कारण उसके मार्ग में कई प्रकार गया है पेड़ पौधे आ जाते है जिस कारण बाढ़ आ जाती है। या जब पर्वतीय क्षेत्र में जगह जगह डैम होने के कारण उनका रुका हुआ पानी ज्यादा हो जाता है या कहीं से टूट जाता है जिस कारण बाढ़ के हालात बन जाती है। तथा यह बाढ़ सबसे ज्यादा मैदानी क्षेत्र में क्षेत्र में देखने को मिलती है। क्योंकि यह पानी पर्वती क्षेत्र से ग्लेशियर का टूटना से बाढ़ के हालात बन जाती है।
बाढ़ से भूस्खलन
बाढ़ से भूस्खलन जब पृथ्वी में पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है। या या किसी डैम या बर्फ का टूटने से कई से ज्यादा पानी आ जाता हैं ताे इसमें बाढ़ की हालत बन जाती है। बाढ़ एक प्रकार से प्राकृतिक आपदा भी कहा जा सकता हैं। या मनुष्य की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के बाढ़ एवं भूस्खलन की हालात बन सकता हैं।
ओला बारी ( बर्फबारी )
बर्फबारी सबसे ज्यादा पर्वतीय क्षेत्रों में होती है यहां पर पहाडी़ हाेने के यहां पर यहां पर कुछ स्थानों पर साल भर बर्फ रहती है तथा कुछ स्थानों में जनवरी से मार्च तक कुछ महिनाें के लिए बर्फबारी होती रहती है। कभी कभी पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादा बर्फबारी होने के कारण बर्फ टूट जाता है। जिस कारण आपदा की स्थिति बन जाती है।
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