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ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत | urja ke paramparik strot

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा को गैर नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये स्रोत उपयोग के साथ कम होते जाते हैं और उनका नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। जीवाश्म ईंधन इस श्रेणी के अंतर्गत आता है और उपयोग के साथ तेजी से घट रहा है।

यद्यपि जल विद्युत ऊर्जा का एक पारंपरिक स्रोत है, यह गैर-नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी के अंतर्गत नहीं आता है क्योंकि जल विद्युत संयंत्रों में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में पानी का उपयोग किया जा रहा है।

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत | urja ke paramparik strot

जीवाश्म ईंधन | jivashm indhan

प्राचीन काल में ऊष्मीय ऊर्जा का सबसे अधिक सामान्य प्रांत लकड़ी था। कुछ सीमित क्रियाकलापों के लिए पवन तथा बहते जल की ऊर्जा का भी उपयोग किया जाता था। क्या आप इनमें से कुछ उपयोग बता सकते हैं? ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया।

बढ़ते हुए उद्योगों ने समस्त विश्व में जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि कर दी है। इसके कारण समस्त विश्व में ऊर्जा की माँग में भी आश्चर्यजनक दर से वृद्धि हो रही है। ऊर्जा की बढ़ती माँग की अधिकाश पूर्ति जीवाश्मी ईंधन कोयला तथा पेट्रोलियम से की जाती थी | वृद्धि के साथ साथ इन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकियों में भी विकास किए गए।

परंतु ये ईंधन करोड़ों वर्षों में बने हैं तथा अब केवल इनके सीमित भंडार ही शेष हैं। जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं, अत: इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। यदि हम इन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग इसी चिंताजनक दर से करते रहेंगे तो हमारे ये भंडार शीघ्र ही रिक्त हो जाएंगे।

ऐसी स्थिति को टालने के उद्देश्य से ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की खोज की गई। परंतु आज भी हम अपनी ऊर्जा की अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जीवाश्मी ईंधनों पर बहुत निर्भरता बनाए हुए हैं।

जल विद्युत संयंत्र | jal Vidyut sanyatra

ऊर्जा का एक अन्य पारंपरिक स्रोत बहते जल की गतिज ऊर्जा अथवा किसी ऊँचाई पर स्थित जल की स्थितिज ऊर्जा है। जल विद्युत संयंत्रों में गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है।

चूँकि ऐसे जल-प्रपातों की संख्या बहुत कम है जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सके, अतः जल विद्युत संयंत्रों को बाँधों से संबद्ध किया गया है। पिछली शताब्दी में सारे विश्व में बहुत बड़ी संख्या में बाँध बनाए गए हैं।

तापीय विद्युत संयंत्र | tapiya Vidyut sanyantra

विद्युत संयंत्रों में प्रतिदिन विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईंधन का दहन करके जल उबालकर भाप बनाई जाती है जो टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करती है। समान दूरियों तक कोयले तथा पेट्रोलियम के परिवहन की तुलना में विद्युत संचरण अधिक दक्ष होता है।

यही कारण है कि बहुत से तापीय विद्युत संयंत्र कोयले तथा तेल के क्षेत्रों के निकट स्थापित किए गए हैं। इन संयंत्रों को तापीय विद्युत संयंत्र कहने का कारण यह है कि इन संयंत्रों में ईंधन के दहन द्वारा ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है जिसे विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।

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