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भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य सम्बन्ध | कक्षा-12 अपठित गद्यांश

जिसे भारतीय संस्कृति कहा जाना चाहिए, वह आज भारतीय, मानसिक क्षितिज में क्रियाशील नहीं है। आज एक प्रकार की अव्यवस्थित […]

राष्ट्र निर्माण में जन का योगदान | कक्षा-10 साहित्यिक गद्यांश (450 से 700 शब्द)

माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है। इसी प्रकार पृथिवी पर बसनेवाले जन बराबर हैं। उनमें ऊँच और नीच का भाव नहीं है। जो मातृभूमि के उदय के साथ जुड़ा हुआ है वह समान अधिकार का भागी है। पृथिवी पर निवास करनेवाले जनों का विस्तार अनन्त है।

अद्भुत शनि | कक्षा-10 साहित्यिक गद्यांश (450 से 700 शब्द)

शनि हमारे सौरमण्डल का सबसे सुन्दर ग्रह है। सौरमण्डल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि का दूसरा स्थान है। यह ग्रह हमारी पृथ्वी से करीब 750 गुना बड़ा है। सूर्य से शनि की दूरी 143 करोड़ किलोमीटर है। हमारी पृथ्वी सूर्य से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।

मातृभाषा का महत्त्व | कक्षा-10 साहित्यिक गद्यांश (450 से 700 शब्द)

हमने मातृभाषा का अनादर किया है। इस पाप का कड़वा फल हमें जरूर भोगना पड़ेगा। हममें और हमारे घर के लोगों के बीच कितना ज्यादा व्यवधान पैदा हो गया है, इसके साक्षी इस सम्मेलन में आनेवाले हम सभी हैं। हम जो कुछ सीखते हैं, वह अपनी माताओं को नहीं समझाते और न समझा सकते हैं।

धार्मिक शिक्षा का महत्व | कक्षा-10 साहित्यिक गद्यांश (450 से 700 शब्द)

धार्मिक शिक्षा के सन्दर्भ में धर्म को सीमित अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए। इसका अर्थ मानव-धर्म या विश्वधर्म है जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का भाव अपने में निहित रखता है। इसका अभिप्राय उस धर्म से है जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ का सन्देश देता है। धर्म एक उच्च मानवीय अनुशासन है जो व्यक्ति को संस्कारवान् बनाता है।

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