आचरण का विकास | कक्षा-12 अपठित गद्यांश
June 2, 2022मनुष्य का जीवन इतना विशाल है कि उसके आचरण को रूप देने के लिए नाना प्रकार के ऊँच-नीच और भले-बुरे […]
मनुष्य का जीवन इतना विशाल है कि उसके आचरण को रूप देने के लिए नाना प्रकार के ऊँच-नीच और भले-बुरे […]
जिसे भारतीय संस्कृति कहा जाना चाहिए, वह आज भारतीय, मानसिक क्षितिज में क्रियाशील नहीं है। आज एक प्रकार की अव्यवस्थित […]
संसार को परिभाषित करना बहुत मुश्किल काम है। महाद्वीपों, द्वीपों, महासागरों, पर्वतों, मैदानों, सर-सरिताओं आदि का समेकित नाम ही संसार […]
शान्ति, सद्भावना, सदाशयता एवं परहित निरन्तरता आदर्श समाज के प्रमुख गुण हैं। भारतीय मनीषा ने इन मानव सुलभ विशेषताओं पर […]
प्रकृति के अनेक अभिकर्त्ता अपनी तरह से अपना काम करते हैं। हवा, पानी, तूफान, बादल, बिजली आदि सभी अपना काम […]
माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है। इसी प्रकार पृथिवी पर बसनेवाले जन बराबर हैं। उनमें ऊँच और नीच का भाव नहीं है। जो मातृभूमि के उदय के साथ जुड़ा हुआ है वह समान अधिकार का भागी है। पृथिवी पर निवास करनेवाले जनों का विस्तार अनन्त है।
उद्योग किसी देश की अर्थव्यवस्था तथा वहाँ के निवासियों के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते हैं। औद्योगीकरण से देश की अर्थव्यवस्था का विकास होता है। उद्योगों द्वारा लोगों के दैनिक जीवन में काम आनेवाली वस्तुओं का निर्माण किया जाता है और उद्योग लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
हमारे देश ने आलोक व अन्धकार के अनेक युग पार किए हैं, परन्तु अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार के प्रति वह एकान्त सावधान रहा है। उसमें अनेक विचारधाराएँ समाहित हो गईं, अनेक मान्यताओं ने स्थान पाया, पर उसका व्यक्तित्व सार्वभौम होकर भी उसी का रहा।
गांधीगिरी और गांधित्व- कहने को चाहे भारत में स्वशासन हो और भारतीयकरण का नारा हो, किन्तु वास्तविकता में सब ओर […]
शनि हमारे सौरमण्डल का सबसे सुन्दर ग्रह है। सौरमण्डल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि का दूसरा स्थान है। यह ग्रह हमारी पृथ्वी से करीब 750 गुना बड़ा है। सूर्य से शनि की दूरी 143 करोड़ किलोमीटर है। हमारी पृथ्वी सूर्य से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।