सूर्यास्त के बाद आकाश को देखना कितना अच्छा लगता है। आसमान में पहले एक या दो चमकते बिंदु ही दिखते हैं लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ती जाती है आप इनके गाना नहीं कर सकते संपूर्ण आकाश छोटी-छोटी चमत्कार नेता जाना है।
सौरमंडल किसे कहते है?
सौरमंडल में सूर्य आठ करें उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड जैसे सौरमंडल का निर्माण करते हैं। उसे हम सौर परिवार का नाम देते हैं जिसका मुखिया सूर्य है।

सूर्य किसे कहते है?
सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म कैसे बनाएं इसका कि चावल इसके सारे मंडल को बांधे रखता है।सूर्य सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है।
लेकिन इसके अत्यधिक तेज उस्मा को महसूस नहीं करते हैं क्योंकि सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद या हमसे बहुत दूर है। सूर्य पृथ्वी के लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।
ग्रह किसे कहते है?
हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह सूर्य से दूरी के अनुसार वह हैं: शुक्र पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।
सौर मंडल के सभी आर्ट करें एक निश्चित बातों पर सो जाएगा चक्कर लगाते हैं यह रास्ते दीर्घ वृत्ताकार में फैली है यह कक्षा कहलाते हैं।
सौरमंडल में पृथ्वी
सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह आकार में या पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है। यह द्रवों के पास थोड़ी चपटी है। यही कारण है। कि इसे आकार को भू आभ कहा जाता है। इस का अर्थ है पृथ्वी के समान आकर।
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां संभव तो केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती है ।पृथ्वी ना तो अधिक गर्म है और ना ही अधिक ठंडी यहां पानी एवं जलवायु उपस्थित है।जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। वायु मैं जीवन के लिए आवश्यक गैस जैसे ऑक्सीजन मौजूद है इन्हीं कारणों से पृथ्वी सूर्य मंडल का सबसे अद्भुत ग्रह है
अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है। क्योंकि इसके दो तिहाई सतह से ढकी हुई है। इसलिए इसे नीला ग्रह कहा जाता है।
चंद्रमा किसे कहते है?
हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है। पृथ्वी का एक चंद्रमा है। चंद्रमा का तकनीकी रूप से एक नाम चंद्रमा है। चंद्रमा इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक चौथाई है यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है। क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है।
चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है। इसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी से हमें चंद्रमा का केवल एक ही भाग दिखाई पड़ता है।
चंद्रमा की परिस्थितियां जीवन के लिए अनुकूल नहीं है यहां ना पानी है और ना वह इसकी सतह पर पर्वत मैदान एवं घंटे हैं। जो चंद्रमा की सतह पर छाया बनाते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर इसकी छाया को देखा जा सकता है।