वयस्क व सार्वभौमिक मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
वयस्क मताधिकार, सार्वभौमिक मताधिकार का एक सबसेट होता है। सार्वभौम मताधिकार में प्रत्येक व्यक्ति जो वयस्क है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, नस्ल या संपत्ति का हो, उसे मतदान का अधिकार प्राप्त है। भारत इस मामले में अग्रणी था। भारतीय संविधान के समय से भारत में सार्वभौमिक मताधिकार की व्यवस्था है, जबकि महान पश्चिमी देशों ने महिलाओं को अपने संविधान के लागू होने के सदियों बाद मतदान करने की अनुमति दी है। 1920 में यूएसए जबकि 1928 में यूके ने महिलाओं को चुनाव में वोट देने की अनुमति दी। स्विट्ज़रलैंड में महिलाओं को मताधिकार देने के लिए 1975 तक देर हो चुकी थी।
सार्वभौमिक मताधिकार (Universal suffrage) या ‘सर्वजनीन वयस्क मताधिकार‘ का अर्थ है कि बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्कों (एक जेसे आयु से अधिक आयु वालों को) मताधिकार प्रदान करना। अर्थात वोट देने का अधिकार।

वयस्क अथवा सार्वभौमिक मताधिकार | vayask or sarvbhaumik matadhikar kya hai
वयस्क मताधिकार से हमारा तात्पर्य यह है कि उन सभी को मतदान देने का अधिकार, किसी एक निश्चित आयु के समस्त नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान देने का अधिकार होना चाहिए। भारत में मतदान की निम्नतम आयु सीमा 18 वर्ष निर्धारित है। और मताधिकार के संबंध सभी में संपत्ति, लिंग या शिक्षा जैसा किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। वर्तमान में विश्व के समस्त देशों में वस्त्र अथवा सार्वभौमिक मताधिकार की व्यवस्था होती है।
मताधिकार की विशेषताएं | matadhikar ki visheshta
- सार्वभौमिक मताधिकार से देश मे रह रहे प्रत्येक व्यक्ति के मत अर्थात वोट को समान महत्व मिलता है।
- सार्वभौमिक मताधिकार की व्यवस्था समानता के सिद्धांत के अनुकूल होती है।
- सभी नागरिक शासन मे भागीदारी करते है।
- सार्वभौमिक मताधिकार से शासन के लोगों का शांति-पूर्वक परिवर्तन सम्भव हो पाता है।
- नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा मिलती है।
- नागरिकों मे आत्म सम्मान की भावना पैदा होती है।
- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए यह एक गंभीर प्रश्न है कि मताधिकार का आधार क्या हो?
वयस्क मताधिकार के पक्ष में तर्क | vayask matadhikar ke paksh mein do tark dijiye
- प्रभुसत्ता का स्रोत जनता है, इसलिए सभी को समान रुप से मताधिकार प्राप्त होना चाहिए।
- राज्य के कार्य, कानूनों को नीतियों का प्रभाव सब पर समान रूप से पड़ता है। इसलिए सभी को मताधिकार प्राप्त होना चाहिए।
- सभी व्यक्ति समान है।सभी को अपने हितों की सुरक्षा के लिए मताधिकार प्राप्त होना चाहिए।
- सभी को मताधिकार प्राप्त होने से अल्पसंख्यक भी सरकार में प्रतिनिधित्व प्राप्त कर लेते हैं।
- शिक्षा संपत्ति तथा लिंग संबंधी भेद-भाव अनुचित है, इसलिए सभी को मताधिकार प्राप्त होना चाहिए।
- वयस्क मताधिकार से सारे वोट देने वाले व्यक्ति खुद को अच्छा व सम्मानित जैसा अनुभव करते हैं
- नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए वयस्क मताधिकार आवश्यक है।
- वयस्क मताधिकार से राजनीतिक उदासीनता नष्ट होती है तथा राजनीतिक जागृति व शिक्षा प्राप्त होती हैं।
- वयस्क मताधिकार राष्ट्र की एकता का प्रतीक है।
- वयस्क मताधिकार लोकतांत्रिक सिद्धांतों एवं भावनाओं के अनुकूल है।
वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क | vayask matadhikar ke vipaksh mein do tark dijiye
- वयस्क मताधिकार की प्रणाली विचारहिन ही मानी जाती है।
- साधारण जनता राजनीति के जटिल प्रश्नों को नहीं समझती है, इसलिए सब को मताधिकार प्राप्त नहीं होना चाहिए।
- जो वयस्क मताधिकार है वो भ्रष्टाचार को भी जन्म देता है, क्योंकि मतदान सामान्यतया धन धर्म व जाति के प्रभाव से होता है।
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