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समुद्री ज्वारीय ऊर्जा क्या है? | लाभ | हानियां

ज्वार-भाटे (tides) में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वारीय ऊर्जा जल विद्युत का एक रूप ( Tidal energy, a form of hydropower ) है जो ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को मुख्य रूप से इलेक्ट्रिसिटी के जरूरती रूपों में बदल देती है। ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है। 

समुद्रीय ज्वारीय ऊर्जा | Oceanic Tidal Energy

समुद्रीय ऊर्जा या महासागर (Ocean) ऊर्जा संभवतया ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण नवीकरणीय (Renewable) स्रोत है। इसमें किसी प्रकार से जीवाश्म ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती और न प्रदूषण होता है। मुख्यतया समुद्रीय ऊर्जा के स्रोत हैं-

  • ज्वार शक्ति
  • समुद्री तापान्तर
  • लहर ऊर्जा (Wave Energy) और
  • पन बिजली शक्ति (Hydro Electric Power)

समुद्रों में समुद्रीय जल का ऊंची-ऊंची लहरों में उठना और ऊंची लहरों का समुद्र तट की तरफ बढ़ना और लहरों का वापिस समुद्र में लौटना क्रमशः ज्वार व भाटा कहलाता है।

समुद्र में ज्वार आते हैं। ज्वार आने पर समुद्र में लहरों का वेग अत्यन्त तेज हो जाता है। उच्च ज्वार एवं निम्न ज्वार के मध्य समुद्रीय जल स्तर का जो अन्तर होता है , इससे बिजली उत्पन्न की जाती हैं। संसार का सबसे पहला ज्वार संचालित ऊर्जा उत्पादक फ्रांस में रेन्स नदी की वेलासंगम पर निर्मित किया गया है। इससे 1000 (MW) मेगावाट तक बिजली उत्पन्न की जाती है।

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ज्वार शक्ति स्टेशन के लाभ (Advantages of Tidal Power Station)-

  • ज्वार शक्ति का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये स्रोत अक्षय (Inexhaustible) अर्थात् कभी खत्म नहीं होने वाले है, यह पूर्णतया स्वतंत्र होते हैं व वर्षा आदि पर निर्भर नहीं होते।
  • ज्वार शक्ति उत्पादन प्रदूषण (Pollution) रहित है क्योंकि इसमें किसी प्रकार का ईंधन उपयोग नहीं होता है और न कोई व्यय गैसें (Waste Gases) राख (Ash) आदि निकलते हैं।
  • ये संयंत्र समुद्र तटों पर होते हैं, जिसके कारण इनमें कीमती भूमि के बड़े क्षेत्रफल की आवश्यकता नहीं होती है जैसे कि दूसरे संयंत्रों में होती है।
  • जब ये संयंत्र तापीय या पन विद्युत संयंत्र के साथ काम करते हैं तब शिखर शक्ति (Peak Power) की मांग (Demand) को प्रभावी ढंग से पूरा करते है।

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ज्वार शक्ति स्टेशन की हानियां

  • ज्वार शक्ति उत्पादन की सभी विधियों को मुख्य कमी यह है कि उत्पादित शक्ति ज्वार रेंज के साथ बदलती है।
  • ज्वार रेंज बदलती है इस कारण टरबाइन को हेड परिवर्तन के साथ काम करना पड़ता है। जिससे संयंत्र की दक्षता पर प्रभाव पड़ता है।
  • इसमें शक्ति उत्पादन समुद्र व बेसिन के जल स्तर के अंतर पर निर्भर करता है अतः यह एक रूकावट वाली क्रिया है। इसे दो या अधिक बेसिन निकाय बनाकर लगातार शक्ति उत्पादन करते हैं।
  • इसमें शक्ति उत्पादन समुद्र व बेसिन के जल स्तर के अंतर पर निर्भर करता है अतः यह एक रूकावट वाली क्रिया है। इसे दो या अधिक बेसिन निकाय बनाकर लगातार शक्ति उत्पादन करते हैं।
  • ज्वार रेंज की सीमा कुछ मीटर होती है जो कैप्लान टरबाइन (Kalpan Turbine) के लिए उपयुक्त (Suitable) नहीं है परन्तु अब परिवर्तनीय बहाव वाले बल्ब टरबाइन (Reversible Flow Bulb Turbine) के उन्नत हो जाने से यह समस्या भी दूर हो गई है।
  • शक्ति चक्र (Power Cycle) का समय काल (Duration) बदलता रहता है, प्रतिदिन ग्रिड में लोड शेयरिंग (Load Sharing) में व्यवधान उत्पन्न करता है। इसे कम्प्यूटराइज्ड प्रोग्रामिंग (Computerized Programming) से हल कर लेते हैं।
  • समुदी जल क्षयकारक (Corrosive) होता है और भय रहता है कि मशीन क्षय ग्रस्त न हो जाए। इसके लिए इस्पात ‘ या स्टेनलेस स्टील जिसमें क्रोमियम (Chromium) की मात्रा ज्यादा, थोड़ी मात्रा में मोलीब्डनम (Molybednum) और एल्युमीनियम ब्रांज (Bronzes) क्षयकरण रोक में सहायता मिलती है।
  • समुद्र व खाड़ी में निर्माण कार्य (Construction) कठिन होता है।
  • इस संयंत्र की लागत दूसरे ऊर्जा स्रोत से ज्यादा होती है।
  • ज्वार शक्ति संयंत्र से खाड़ी के प्राकृतिक उपयोग जैसे मछली उद्योग (Fisheries) और नवीगेशन (Navigation) में समस्या आती है।

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समुद्री ज्वारीय ऊर्जा से जुड़े प्रश्न ओर अत्तर (FAQ)

ज्वार भाटा किसे कहते हैं।

समुद्रों में समुद्रीय जल का ऊंची-ऊंची लहरों में उठना और ऊंची लहरों का समुद्र तट की तरफ बढ़ना और लहरों का वापिस समुद्र में लौटना क्रमशः ज्वार व भाटा कहलाता है।

ज्वार शक्ति स्टेशन की एक हानि बताइए।

ज्वार शक्ति संयंत्र से खाड़ी के प्राकृतिक उपयोग जैसे मछली उद्योग (Fisheries) और नवीगेशन (Navigation) में समस्या आती है।

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