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पृथ्वी पर चुंबकत्व (magnetized on earth)

पृथ्वी पर चुंबकत्व (magnetized on earth)

चुम्बकत्व से सम्बन्धित किये गये अनेक प्रयोगों से इस बात की पुष्टि होती है कि पृथ्वी इस प्रकार का व्यवहार करती है जैसे कि इसके गर्भ में एक बहुत बड़ा चुम्बक रखा हो जिसका दक्षिणी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर और उत्तरी ध्रुव भौगोलिक दक्षिण की ओर हो। पृथ्वी के इसी चुम्बकत्व को भू-चुम्बकत्व अथवा पार्थिव चुम्बकत्व कहते हैं। नीचे कुछ प्रयोगों का सन्दर्भ दिया जा रहा हऐ।

पृथ्वी पर चुंबकत्व (magnetized on earth)
पृथ्वी पर चुंबकत्व (magnetized on earth)

पृथ्वी पर चुंबकत्व के प्रयोग-

  • पृथ्वी में उत्तर-दक्षिण दिशा में गाड़ी गई लोहे की छड़ कुछ समय पश्चात् चुम्बक बन जाती है- ऐसा तभी सम्भव है जब पृथ्वी स्वयं एक प्रबल चुम्बक हो।
  • स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी हुई चुम्बकीय सुई सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है- जब चुम्बकीय सुई को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया जाता है तो उसका उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर संकेत करता हुआ ठहरता है। यह तभी सम्भव है, जबकि दक्षिण से उत्तर की ओर एक दिष्ट भौगोलिक उत्तर की ओर और दक्षिणी ध्रुव भौगोलिक चुम्बकीय क्षेत्र मौजूद हो।
  • किसी छड़ चुम्बक की बल रेखाएँ खींचने पर उदासीन बिन्दु प्राप्त होते हैं- यदि किसी चुम्बक को चुम्बकीय याम्योत्तर में इस प्रकार रखें कि उसका उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर रहे। इस चुम्बक की बल रेखाएँ खींचने पर चुम्बक की निरक्षीय स्थिति में चुम्बक के दोनों ओर हमें उदासीन बिन्दु (Null point) प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को भौगोलिक दक्षिण की ओर रखकर बल रेखाएँ खींचने पर चुम्बक के दोनों ओर अक्षीय स्थिति में उदासीन बिन्दु प्राप्त होते हैं। उदासीन बिन्दुओं का मिलना यह सुनिश्चित करता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र होता है। “जिन बिन्दुओं पर पृथ्वी के चम्बकीय क्षेत्र चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र को उदासीन कर देता है, वहीं उदासीन बिन्दु मिलता है।

पृथ्वी तल पर चुम्बकीय सुई के उपर्युक्त व्यवहार से स्पष्ट है कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाएँ पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों के समीप पृथ्वी की सतह के लम्बवत् तथा चुम्बकीय निरक्ष के समीप पृथ्वी की सतह के समान्तर होंगी।

पृथ्वी के चुम्बकत्व से सम्बन्धित कुछ तथ्य –

  • चुम्बकीय अक्ष – पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव तथा चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बकीय अक्ष कहलाती है।
  • चुम्बकीय निरक्ष – जिन स्थानों पर चुम्बकीय सुई पृथ्वी की सतह के समान्तर अर्थात् क्षैतिज रहती है, उन स्थानों से गुजरने वाला तथा पृथ्वी के ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् तल पृथ्वी के गोले की सतह को वृत्त में काटता है, इस वृत्त को चुम्बकीय निरक्ष कहते हैं।
  • चुम्बकीय याम्योत्तर – किसी स्थान पर अपने गुरुत्व केन्द्र से स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी सुई के अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुम्बकीय याम्योत्तर कहते हैं।
  • भौगोलिक याम्योत्तर – किसी स्थान पर पृथ्वी के भौगोलिक उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा में से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को भौगोलिक याम्योत्तर।

प्रश्न ओर उत्तर (FAQ)

पृथ्वी पर चुंबकत्व के प्रयोग बताइए।

पृथ्वी में उत्तर-दक्षिण दिशा में गाड़ी गई लोहे की छड़ कुछ समय पश्चात् चुम्बक बन जाती है- ऐसा तभी सम्भव है जब पृथ्वी स्वयं एक प्रबल चुम्बक हो।

पृथ्वी के चुम्बकत्व से सम्बन्धित एक तथ्य बताइए।

चुम्बकीय अक्ष – पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव तथा चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बकीय अक्ष कहलाती है।

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