आपूर्ति, समर्थन या सहायता का एक स्रोत, विशेष रूप से एक जिसे जरूरत पड़ने पर आसानी से खींचा जा सकता है। संसाधन, किसी देश की सामूहिक संपत्ति या धन पैदा करने का उसका साधन। आमतौर पर संसाधन।
संसाधन का अर्थ? | sansadhan ka arth
कोई भी वह वस्तु या तत्व,जो मानव की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ या उपयोगी होता है अथवा उपयोगिता में सहायक होता है, ‘संसाधन‘ कहलाता है। प्रकृति ने मानव को अनेक संसाधन जैसे-जल, सूर्यताप, प्राकृतिक वनस्पति, खनिज पदार्थ तथा ऊर्जा के संसाधन आदि निशुल्क उपहारों के रूप में प्रदान किए हैं।

संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता | sansadhan ke sanrakshan ki avashyakta kyon hai
विश्व में अनेक संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। अतः का अधिकतम एवं सुरक्षित उपयोग करना संरक्षण कहलाता है। दूसरे शब्दों में, “प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम मात्रा में भरपूर उपयोगी संसाधन संरक्षण है।”
पिछले 200 वर्षों से विश्व में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों का मुख्य कारण जनसंख्या में तीव्र वृद्धि का होना,तथा जीवन के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण का अपनाया जाना है। प्राकृतिक संसाधनों में मृदा, जल, वन, खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की सर्वाधिक आवश्यकता है। यही कारण है कि इन संसाधनों के बचाव पर अधिक अधिक ध्यान देना है ।
यदि यह संसाधन विनष्ट हो गए, तो आने वाली पीढ़ी के लिए घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा। वनों से प्राप्त होने वाली लकड़ी से ईंधन, इमारती कार्यों के लिए लकड़ी तथा लुगदी एवं कागज उद्योग की स्थापना की बिगड़ जाती है। वर्तमान समय में ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की सर्वाधिक संचित मात्रा संपूर्ण विश्व में निश्चित है।यदि इनका विवेकपूर्ण उपयोग ना किया गया तो यह कभी भी समाप्त हो सकते हैं। अतः सभी प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जाना चाहिए।
संसाधन संरक्षण के लिए आवश्यक अवयव
- संसाधनों की क्षमता में लगातार वृद्धि के उपाय करने चाहिए ।
- कुल संसाधन आधार का मूल्यांकन होता रहना चाहिए।सभी प्रकार के ज्ञान व संभाव्या संसाधनों का लेखा-जोखा परिणाम गुण व विशेषताएं भी ज्ञात होना भी आवश्यक है
- तत्कालीन आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कम आर्थिक मूल्य वाले संसाधनों को भी नष्ट नहीं करना चाहिए।भविष्य में तकनीकी ज्ञान वृद्धि तथा अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों के कारण उनका अधिक लाभदायक उपयोग संभव होता है।
- जीन संसाधनों का भंडार बढ़ाया जा सकते हैं, इसके लिए पूर्ण प्रयास किए जाने चाहिए, उदाहरण -खाद, उर्वरक, सिंचाई,तथा फसल चक्र का प्रयोग करके उपजाऊ भूमि से अधिक अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
- जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ संसाधनों के भंडारों के लेखा-जोखा का नवीनीकरण करते रहना चाहिए।
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