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पवन ऊर्जा (wind power) किसे कहते हैं?

पवन ऊर्जा किसे कहते हैं

जब सूर्य की किरणें पृथ्वी हैं, पहुंचती हैं तो वे वातावरण को गर्म कर जब सूर्य की किरणें पृथ्वी देती हैं, अर्थात् धरती पर तापमान की भिन्नता उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण हवा चलती है, यह हवाएं अपने अन्दर काफी ऊर्जा समेटे होती हैं जिसे हम पवन ऊर्जा कहते हैं। हवा कभी न नष्ट होने वाली, प्रदूषण रहित तथा नवीनकरणीय (renewable) ऊर्जा का स्त्रोत है।

पवन ऊर्जा किसे कहते हैं
पवन ऊर्जा किसे कहते हैं

विश्व के अधिकतर भाग में वर्ष भर के दौरान तकरीबन 320 दिन हवा चलती है, पवन के बहने से हम पवन चक्कियां (wind mills) चलाते हैं, जिनसे जनरेटर युग्मित रहता है जो हमें विद्युत ऊर्जा प्रदान करता है। पवन चक्की को चलाने का खर्चा लगभग शून्य आता है तथा इसके द्वारा वातावरण पर कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

चूंकि पृथ्वी की आकृति गोलाकार है तथा वह अपनी कक्ष तथा अक्ष में घूमती रहती है, इस कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी के सम्पूर्ण भू–पटल पर नहीं पड़ती अर्थात् पृथ्वी का कुछ भाग गर्म हो जाता है तथा कुछ भाग ठण्डा रह जाता है, जिससे तापीय अन्तर उत्पन्न होता है और वायु में दाबीय अन्तर (pressure difference) उत्पन्न हो जाता है जो पवन की उत्पत्ति का स्त्रोत हैं।

पवन मशीन के स्थान चयन के लिए आवश्यक तथ्य-

  • पवन शक्ति (P) के समीकरण से हम जानते हैं कि यह पवन वेग के घन के समानुपाती होती है अर्थात् ऐसे स्थान का चयन किया जाना चाहिए जहा वर्ष भर पवन तेज गति से बहती हो। किसी भी स्थान के लिए पवन गति का औसत मान 10 m/s से कम न हो।
  • हवा का घनत्व (density) जितना अधिक होगा उतनी ही ज्यादा उसमें शक्ति होगी, समुद्र तल (sea level) से ऊपर उठने पर हवा का घनत्व कम होता जाता है इसलिए पवन मशीन पहाड़ों पर लगाने की बजाए समुद्र तल के नजदीक समतल जगहों पर लगाना लाभदायक रहता है।
  • पवन शक्ति (P) रोटर की ब्लेड के व्यास के वर्ग के समानुपाती होती है, अर्थात् रोटर की ब्लेडों का व्यास जितना अधिक होगा उतनी ज्यादा पवन शक्ति का उत्पादन होगा, अतः स्थान का अक्षांश (latitude) अति महत्त्वपूर्ण है।
  • स्थान रेल मार्ग या सड़क मार्ग से जुड़ा होना चाहिए जिससे वहां तक सुगमता से पहुंचा जा सके।
  • जमीन सस्ती दरों पर बहुतायत (plenty) में उपलब्ध होनी चाहिए क्योंकि जब कई सारी पवन मशीनों को एक स्थान पर लगाते हैं तब उनमें कम से कम इतनी दूरी हो कि वह एक – दूसरे की क्षमता को प्रभावित न करें। ऐसी जगह जहां कई सारी पवन मशीनें लगाई जाती है उसे पवन फार्म (wind form) कहते हैं।
  • स्थान भार केन्द्र के नजदीक होना चाहिए जिससे संचरण हानियां (transmission losses) कम से कम हों।
  • आसपास का वातावरण प्रदूषण मुक्त होना चाहिए अन्यथा पवन मशीन की ब्लेडों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और वे खराब होंगी।

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प्रश्न ओर उत्तर (FAQ)

पवन ऊर्जा (wind power) किसे कहते हैं?

जब सूर्य की किरणें पृथ्वी हैं, पहुंचती हैं तो वे वातावरण को गर्म कर जब सूर्य की किरणें पृथ्वी देती हैं, अर्थात् धरती पर तापमान की भिन्नता उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण हवा चलती है, यह हवाएं अपने अन्दर काफी ऊर्जा समेटे होती हैं जिसे हम पवन ऊर्जा कहते हैं।

पवन मशीन के स्थान चयन के लिए आवश्यक एक तथ्य बताइए।

पवन शक्ति (P) के समीकरण से हम जानते हैं कि यह पवन वेग के घन के समानुपाती होती है अर्थात् ऐसे स्थान का चयन किया जाना चाहिए जहा वर्ष भर पवन तेज गति से बहती हो। किसी भी स्थान के लिए पवन गति का औसत मान 10 m/s से कम न हो।

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