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पर्यावरण संरक्षण की विधियां क्या है

पर्यावरण (Environment) संरक्षण की विधियां क्या है?

पर्यावरण वह सब कुछ है जो आसपास है। यह जीवित या निर्जीव चीजें हो सकती हैं। इसमें भौतिक, रसायन और अन्य प्राकृतिक बल शामिल हैं। जीवित चीजें अपने वातावरण में रहती हैं। वे लगातार इसके साथ बातचीत करते हैं और अपने वातावरण में स्थितियों के जवाब में बदलते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की विधियां क्या है
पर्यावरण संरक्षण की विधियां क्या है

पर्यावरण संरक्षण की विधियां-

ऊर्जा संरक्षण-

ऊर्जा पर्यावरण का नियामक घटक है। पर्यावरण के विभिन्न जैव एवं अजैव घटक ऊर्जा द्वारा ही संचालित होते हैं। ऊर्जा के अभाव में जीवन की कल्पना भी कठिन है।ऊर्जा प्रवाहमान तत्त्व है। यह एक घटक से दूसरे घटक में गमन करते हुए पर्यावरण को जीवन्त बनाए रखता है।

प्राविधिकी के बल पर मनुष्य प्राकृतिक वातावरण से ऊर्जा के विभिन्न साधनों को प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया में मनुष्य स्वाभाविक रूप से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा के अतिरिक्त करोड़ों वर्षों से संचित पुरा-जैव ऊर्जा का सर्वाधिक उपभोग कर रहा है।

इसी के परिणामस्वरूप वर्तमान समय में वायु प्रदूषण, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि, ओजोन परत का क्षरण तथा ग्रीन हाउस प्रभाव जैसी समस्याओं का जन्म हुआ है जिसने पर्यावरण अवक्रमण में वृद्धि की है और ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता को बढ़ाया है। ऊर्जा संरक्षण की कुछ महत्त्वपूर्ण विधियाँ इस प्रकार हैं।

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विकास –

वैकल्पिक ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि की जाए। वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न-ऊर्जा, पवन ऊर्जा बायोमास ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि ऐसी ऊर्जा है जिनकी पूर्ति सतत रूप से बनी रहेगी।ऊर्जा के यह साधन प्रदूषणरहित है। अत: जिन क्षेत्रों में इन साधनों को ऊर्जा प्राप्त हो सकती है वहाँ इन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाना चाहिए। जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में सौर एवं पवन ऊर्जा तथा समुद्रतटीय क्षेत्रों में ज्वारीय एवं पवन ऊर्जा और मैदानी क्षेत्रों में सौर्य ऊर्जा का उपयोग सरलता से किया जा सकता है।

अपशिष्ट पदार्थों –

में कमी लाकर ऊर्जा की एवं उपयोग से अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है। इन अपशिष्ट बचत-परम्परागत ऊर्जा; जैसे — कोयला, खनिज तेल आदि के उत्पादन पदार्थों के निस्तारण में ऊर्जा का भी उपयोग होता है तथा मृदा एवं जल प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न होती है। ऊर्जा संरक्षण हेतु इन वर्ण्य पदार्थो के निस्तारण में व्यय होने वाली ऊर्जा की बचत करने के लिए निस्तारण में कमी करनी आवश्यक है।

गुणात्मक समुन्नति का विकास –

परम्परागत ऊर्जा – कोयला , खनिज तेल आदि के उत्खनन के समय गुणात्मक रूप से विशुद्ध या क्षमता के अनुसार निम्न ऊर्जा पदार्थ भी निकलते हैं।इनको अनुपयोगी मानकर बेकार छोड़ दिया जाता है। अत: गुणात्मक समुन्नति का विकास करके इन विशुद्ध एवं अनुपयोगी पदार्थों का ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।

विवेकपूर्ण उपयोग –

ऊर्जा पर्यावरण का मूल्यवान पदार्थ है इसका अपव्यय मनुष्य जीवन एवं पर्यावरण विकास दोनों के लिए घातक है। अत: उपलब्ध ऊर्जा साधन; जैसे — कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि का उपयोग आवश्यक कार्यों में ही किया जाना चाहिए।

जहाँ अन्य वैकल्पिक ऊर्जा के साधन उपलब्ध हैं और उनका विकास किया जा सकता है वहाँ पर वैकल्पिक ऊर्जा साधनों का उपयोग आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए।विवेकपूर्ण ऊर्जा उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक और जनसामान्य को जागरूक करने की आवश्यकता है तो दूसरी और समुन्नत तकनीकी विकास भी आवश्यक है।

जल संरक्षण –

ऊर्जा के समान ही जल भी पर्यावरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटक है। जल शुद्धता और उपलब्धता दोनों ही जीवन के लिए आवश्यक है। जल से अनेक पोषक तत्त्वों की आपूर्ति होती है जो जीवन को क्रियाशीलता को बनाए रखते हैं। जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित सिद्धान्तों को स्मरण रखना आवश्यक है- (i) जल उपलब्धता, (ii) जल की शुद्धता।

जल उपलब्धता के लिए जल के प्राकृतिक चक्र का संचरण आवश्यक है जो पृथ्वी पर उपलब्ध जल स्रोतों के प्रबन्धन और वनस्पति विकास से नियमित रखा जा सकता है।

अत: पृथ्वी पर उपलब्ध जल स्रोत, नदी, तालाब, झील, सागर , हिमनद आदि के संरक्षण और प्रबन्धन पर चित्रा ध्यान देना चाहिए। जल की शुद्धता को बनाए रखने के लिए प्रदूषण तत्त्वों का जल स्रोतों में हो रहे सम्मिश्रण को नियन्त्रित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, जल का विवेक पूर्ण उपयोग एवं समुन्नत तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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प्रश्न ओर अत्तर (FAQ)

पर्यावरण किसे कहते हैं?

पर्यावरण वह सब कुछ है जो आसपास है। यह जीवित या निर्जीव चीजें हो सकती हैं। इसमें भौतिक, रसायन और अन्य प्राकृतिक बल शामिल हैं। जीवित चीजें अपने वातावरण में रहती हैं। वे लगातार इसके साथ बातचीत करते हैं और अपने वातावरण में स्थितियों के जवाब में बदलते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की एक विधि बताइए।

ऊर्जा संरक्षण- ऊर्जा पर्यावरण का नियामक घटक है। पर्यावरण के विभिन्न जैव एवं अजैव घटक ऊर्जा द्वारा ही संचालित होते हैं। ऊर्जा के अभाव में जीवन की कल्पना भी कठिन है।ऊर्जा प्रवाहमान तत्त्व है। यह एक घटक से दूसरे घटक में गमन करते हुए पर्यावरण को जीवन्त बनाए रखता है।

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