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परागकोश की संरचना तथा विकास । परिपक्व परागकोश

साधारणतया एक द्वि-कोष्ठी परागकोश में चार परागधानियाँ होती हैं। परन्तु परिपक्वावस्था के प्राप्त होते-होते इनके बीच की कोशिका-भित्ति टूट जाती है तथा दो लम्बी परागधानियाँ रह जाती हैं। विकास से पहले एक अविकसित परागकोश की सभी कोशिकाएँ एक समान (homogeneous) तथा विभाज्यीय (meristematic) होती हैं। इस कोशिका समूह के बाहर बाह्यत्वचा (epidermis) होती है।

इस अविकसित परागकोश में बाह्यत्वचा के भीतर चार कोनों से चार कोशिकाएँ विभाज्यीय हो जाती हैं और इनके तेजी से विभाजन के कारण यह गोल से चार पाली वाली (four lobed) हो जाती हैं। इसका आकार धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। इसकी चारों पालियों में विभाज्यीय कोशिकाएँ अन्य कोशिकाओं से बड़ी तथा सघन कोशिका द्रव्ययुक्त (densely cytoplasmic) हो जाती हैं।

इनका केन्द्रक (nucleus) भी बड़ा होता है। ये कोशिकाएँ प्रपसु आरम्भक (archesporial initials) का कार्य करती हैं। इस अवस्था में इन कोशिकाओं के अतिरिक्त अन्य कोशिकाओं में विभाजन या तो रुक जाता है या धीमा पड़ जाता है। प्रत्येक आरकीस्पोरियल इनीशियल में पेरीक्लाइनल विभाजन (periclinal division) के फलस्वरूप बाहर बाह्यत्वचा की तरफ प्राथमिक भित्तिय कोशिका (primary parietal cell) तथा अन्दर की ओर प्राथमिक बीजाणुजन कोशिका (primary sporogenous cell) बनती है। प्राथमिक भित्तिय कोशिका के तीन-चार बार पेरीक्लाइनल विभाजन से परागकोश की विभिन्न भित्तिय परतें बनती हैं जिनमें सबसे बाहरी परत को एन्डोथीसियम (endothecium) तथा सबसे भीतरी परत को टेपेटम (tapetum) कहते हैं।

परागकोश की संरचना
परागकोश की संरचना

इनके मध्य की परतें संख्या में जितनी अधिक होती हैं परागकोश की भित्ति उतनी ही मोटी होती है। सामान्यतः मध्य परतों (middle layers) की संख्या तीन से पाँच तक होती है। प्राथमिक बीजाणुजन कोशिका (primary sporogenous cell) विभाजित होकर अनेक बीजाणुजन कोशिकाओं (sporogenous cells) का निर्माण करती है। अन्ततः प्रत्येक बीजाणुजन कोशिका एक लघुबीजाणु मातृ कोशिका (microspore mother cell) कहलाती है।

परिपक्व परागकोश (Mature Anther)

परिपक्व परागकोश (Mature Anther)
परिपक्व परागकोश (Mature Anther)

यह कोशिकाभित्ति और पराग प्रकोष्ठ से बना होता है। परागकोश की भित्ति विभिन्न परतों से बनती है; जैसे–

  1. बाह्यत्वचा (Epidermis) – यह एक कोशिकीय बाह्य परत है तथा इसमें सदा एन्टीक्लाइनल (anticlinal) विभाजन होता है।
  2. अन्तः थीसियम (Endothecium) – यह भी एक कोशिकीय परत है। परन्तु इसकी कोशिकाएँ बड़ी तथा अरीय (radially elongated) होती हैं। परागकोश के परिपक्व होकर फटने वाले स्थानों पर कोशिकाभित्ति पतली रह जाती है। इस स्थान को स्टोमियम (stomium) कहते हैं । अन्त: थीसियम की कोशिकाओं में तन्तुमय अरीय स्थूलन (fibrous radial thickenings) अन्दर की सतह पर होते हैं। स्टोमियम में ये तन्तुमय स्थूलन नहीं मिलते हैं।
  3. मध्यपरतें (Middle layers) – इसमें सामान्यतः तीन से पाँच तक वर्गाकार कोशिकाओं की परतें मिलती हैं। ये अन्त:थीसियम के भीतर की तरफ होती हैं। परिपक्व परागकोश में ये परतें गल जाती हैं तथा दिखाई नहीं पड़ती हैं।
  4. टेपेटम (Tapetum) – यह मध्य परतों के बाद लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं (microspore mother cells) से सटी हुई परत होती है। इसकी कोशिकाओं में एक से अधिक केन्द्रक भी हो सकते हैं। इसका मुख्य कार्य लघु बीजाणु मातृ कोशिकाओं का पोषण होता है। ये कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं —
    • (a) अमीबीय (Amoeboid or plasmodial)
    • (b) स्त्रावी या ग्रन्थिल (Secretory or glandular)
  5. पराग-प्रकोष्ठ (Pollen sac or pollen chamber) – इसमें लघु बीजाणु मातृ कोशिकाओं का निर्माण होता है तथा इन मातृ कोशिकाओं में अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप लघु बीजाणु अथवा परागकण (microspore or pollen grain) का निर्माण होता है।

सेब को आभासी फल (false fruit) क्यों कहते हैं? पुष्प का कौन-सा भाग फल की रचना करता है?

सत्य फल अण्डाशय से बनता है परन्तु सेब में फल का मुख्य भाग पुष्पाक्ष से बनता है इसलिए यह आभासी फल है।

टेपीटम का मुख्य कार्य क्या है ?

लघु बीजाणु मातृ कोशिका में विभाजन के समय पोषक तत्वों का स्थानांतरण करना।

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