आपके कार्यस्थल पर पदोन्नति तब कहा जाता है जब आप अपनी वास्तविक नौकरी की भूमिका के शीर्ष पर कुछ करते हैं। उदाहरण के लिए, एक कर्मचारी को कर्मचारियों की भर्ती का काम दिया जाता है, लेकिन इसके अलावा उसे ऑन-बोर्डिंग स्टाफ की देखभाल करने के लिए भी कहा जाता है, वह पदोन्नति के लिए पात्र होगा। याद रखें कि पदोन्नति पाने में सक्षम होने के लिए उसे परिभाषित कुंजी प्रदर्शन संकेतक के भीतर या अपने लक्ष्य से अधिक प्रदर्शन करना होगा।
पदोन्नति का अर्थ | Padonnati kya hai
लोक सेवाओं के संदर्भ में पदोन्नति का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता आ रहा है। इन सेवाओं में कुशलता, ईमानदारी तथा उत्साह से कार्य करने की भावना तभी रह सकती है, जब पदाधिकारियों को पदोन्नति के उचित अवसर उपलब्ध हो।

पदोन्नति की परिभाषा | Padonnati ki paribhasha
पदोन्नति की परिभाषा को अगर एक लाइन में समझाए तो पदोन्नति “एक एसी गतिविधि होती है जो किसी, कार्य, उद्यम या उद्देश्य का समर्थन या प्रोत्साहित करती है। या उसकी या उसके काम की सराहना करने मे एक माध्यम होता है।
“पदोन्नति का अर्थ किसी वर्तमान स्थिति से कुछ और अधिक घटनाएं वाला कार्य तथा व्यापक उत्तरदायित्व का दिया जाना है जिससे सामान्यतः पद एवं वेतन में वृद्धि भी होती है।”
प्रो ह्राइट के शब्दों में-
“पदोन्नति में एक व्यक्ति निम्न स्तर के उत्तरदायित्व से उच्च स्तर के उत्तरदायित्व को प्राप्त करता है।”
चाल्स वर्थ के शब्दों में-
पदोन्नति के गुण | Padonnati ke gun
- इसके द्वारा कर्मचारियों की कार्यकुशलता तथा कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- सक्षम और योग्य व्यक्ति प्रशासनिक सेवाओं की ओर आकर्षित होते हैं।
- पदोन्नति की समुचित व्यवस्था में सेवाओं में अनुशासन का स्तर ऊंचा बना रहता है।
- कर्मचारी अपनी योग्यता तथा कुशलता में उत्तरोत्तर वृद्धि करने के इच्छुक रहते हैं।
- पदोन्नति द्वारा कार्यरत कर्मचारियों में से ही उच्च पदों के लिए उपयुक्त पदाधिकारी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जो अनुभवी होते हैं।
- पदाधिकारियों में उत्साह, कार्य में रुचि तथा परिश्रम की इच्छा बनी रहती है।
- यह नैतिक तथा मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उपयुक्त है क्योंकि इसमें कर्मचारी अपने को सुखी, संतुष्ट और सम्मानित अनुभव करते हैं।
- जनता भी पदोन्नति पद्धति के कारण प्रशासन के प्रति अधिक आदर भाव रखती है।
पदोन्नति के सिद्धांत | padonnati ke siddhant
- वरिष्ठता का सिद्धांत
- योग्यता का सिद्धांत
1. वरिष्ठता का सिद्धांत | varishth ka siddhant
इस सिद्धांत के अनुसार पदोन्नति का आधार सेवा काल की वरिष्ठता होती है। जिस कर्मचारी की सेवाएं वेतन क्रम में तथा श्रेणी के कर्मचारियों में सबसे अधिक है उसे ही पदोन्नति का अवसर प्राप्त होता है। इसमें किसी को शिकायत का अवसर नहीं रहता है। दो कर्मचारियों में जो पहले से कार्य कर रहा है, वह पदोन्नति का अधिकारी है। इस वरिष्ठता का निर्णय स्थाई सेवाकाल, वेतन क्रम तथा श्रेणी के आधार पर किया जाता है।
2. योग्यता का सिद्धांत | yogyata ka siddhant
इस सिद्धांत के अनुसार पदोन्नति का आधार योगिता होती है। योग्यता का अर्थ बौद्धिक ज्ञान, व्यक्तित्व, नेतृत्व गुण, चरित्र, कुशलता तथा दक्षता होती है। संगठन और सार्वजनिक हित की दृष्टि से से यही उपयुक्त है कि योग्य व्यक्तियों को ही पदोन्नति दी जाए। परंतु योग्यता सापेक्षिक व आत्मगत गुण है इसलिए इसे मापने में कुछ कठिनाइयां आती हैं।
इन्हें भी पढ़ें: