नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन “विकास (Development) प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक एवं रणनीतिक इनपुट प्रदान” करने के लिए किया गया है। योजना आयोग (Planning Commission) के स्थान पर बनाए गए नए संस्थान नीति आयोग के गठन की घोषणा केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी,2015 को की थी। प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग केन्द्र के साथ – साथ राज्य सरकारों के लिए नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा।
- वर्ष 2005-07 के दौरान योजना आयोग ने 9 फीसदी जीडीपी वृद्धि दर प्राप्त करने में मदद की। इसकी वजह अमेरिका में सब – प्राइम संकट से पहले आयी मूल्य वृद्धि रही। लेकिन विश्व के लगभग सभी राष्ट्रों में उच्च विकास की स्थिति थी । इसलिए 9 फीसदी जीडीपी केवल योजना आयोग के कारण नहीं मिली।
- सब – प्राइम संकट के बाद यह भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं में विश्वास जगाने में असफल रहा। जीडीपी में गिरावट, 2008-13 के दौरान लगातार महँगाई में वृद्धि।
- बीपीएल रेखा में बदलाव के कारण निर्धनता में कमी। तेंदुलकर रेखा के अनुसार 27 करोड़ बीपीएल , रंगा रेखा की बात करें तो 37 करोड़ बीपीएल। योजना आयोग ने तेंदुलकर समिति के मापदण्ड के आधार पर जारी किए गए गरीबी रेखा के आँकड़ों को बढ़ा – चढ़ाकर प्रस्तुत किया।
- यह एक अप्रभावी समूह है। इस समूह द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रहने पर कोई मन्त्रालय या विभाग उत्तरदायी नहीं होता।
- भूमि सुधार को अमल में लाने में असफल , एमएसएमई , औद्योगीकरण , कारखाने – श्रम कानून के लिए दोषपूर्ण नीतियों का निर्माण करना।
- कार्यालयों को आईएएस / आईएस के द्वारा संक्षिप्त कार्यकाल के लिए संचालित किया गया। पैनल सदस्यों की नियुक्ति शिक्षाविदों में से की गई। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त और विषय से सम्बन्धित विशेषज्ञों की आवश्यकता है। जैसे – आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन।
- इसने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं ( सीएसएस ) को एक ही केन्द्रीकृत दृष्टिकोण से बनाया। नार्थ ईस्ट / जेएंडके / पहाड़ी राज्यों और नक्सल क्षेत्रों के लिए कुछ करोड़ रुपये अलग से दिए जाते हैं। लेकिन लम्बे समय के लिए इसने पायलट योजना / प्रतिरूप परीक्षण या राज्यों के साथ बातचीत का प्रयोग नहीं किया। इस कारण आईएवाई , आईसीडीएस और मनरेगा जैसे कार्यक्रम करोड़ों खर्च करने के बाद भी यथार्थ परिणाम नहीं दिखा सके।
- इन्होंने राज्य सरकारों की उपेक्षा करके एनजीओ और डीआरडीए को प्रत्यक्ष रूप धन आवंटित किया। इस कारण गैर – कांग्रेसी दलों वाली राज्य सरकारें इन पंचवर्षीय योजनाओं को अमल में लाने के लिए निरुत्साह रहीं।
- वर्ष 2013 में योजना आयोग ने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में सुधार किया जैसे — योजनाओं की संख्या में कमी , स्थिति के अनुसार 10 फीसदी धन राज्यों को , राज्य समेकित निधि में प्रत्यक्ष रूप से धन का स्थानान्तरण इत्यादि। लेकिन यह बहुत देर से हुआ और काफी कम था। जीडीपी वृद्धि दर 6 फीसदी से भी नीचे जा चुकी थी।
- योजना आयोग में कमियों के कारण प्रधानमन्त्री आर्थिक सलाहकार परिषद् , प्रधानमन्त्री प्रोजेक्ट निगरानी समूह आदि जैसे नये तंत्र बनाने पड़े।
- काफी वर्ष तक सरकार ने पहली और अंतिम सुविधा देने वाला ‘ के रूप में कार्य किया। लेकिन आज भारतीय उद्योग और सेवा क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है , एक नया मध्य वर्ग उभरा है।
- समय बदल चुका है , 1950 के अविकसित राष्ट्र के स्थान पर आज भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है।
- इसलिए हमारी आवश्यकताओं में बदलाव आया है। आज हम खाद्य सुरक्षा से लाभकारी कृषि की तरफ बढ़ चुके हैं। खेल के इस मैदान में सरकार को खिलाड़ी की बजाय आयोजक ( संसाधन उपलब्ध कराने वाला ) बनने की जरूरत है।
प्रश्न ओर अत्तर (FAQ)
नीति आयोग किसे कहते हैं?
योजना आयोग के स्थान पर बनाए गए नए संस्थान नीति आयोग के गठन की घोषणा केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी,2015 को की थी। प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग केन्द्र के साथ – साथ राज्य सरकारों के लिए नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा।