नेताजी का चश्मा पाठ के प्रश्न उत्तर (कक्षा-10)
प्रश्न 1. नेताजी की मूर्ति अच्छी न बनी होने के लिए लेखक ने कौन-कौन से कारण माने हैं?
उत्तर: लेखक अनुमान लगाता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में नष्ट हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय ले लिया गया होगा; और अन्त में कस्बे के इकलौते हाईस्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी – को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने भर में मूर्ति बनाकर ‘पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।
प्रश्न 2. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग ‘कैप्टन’ क्यों कहते थे?
उत्तर: पूरे कस्बे में कैप्टन ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसे नेताजी की मूर्ति से लगाव था। वही नेताजी के चश्मे को बदला करता था। कैप्टन में देशभक्ति की भावना प्रबल थी। इसी कारण लोग उसे ‘कैप्टन’ कहते थे।
प्रश्न 3. कैप्टन (चश्मेवाला) मूर्ति का चश्मा बार-बार क्यों बदल देता था? ‘नेताजी का चश्मा पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
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उत्तर: कैप्टन अपने देश के साथ जुड़ा हुआ था। पैसा कमाने की ललक उसमें नहीं थी। वह बार-बार मूर्ति का चश्मा बदल देता था क्योंकि कोई-न-कोई ग्राहक आकर उस फ्रेम को माँग लेता था। कैप्टन मूर्ति से वह फ्रेम उतारकर उसे दे देता था। इस तरह से कैप्टन गिने-चुने चश्मों में से कोई-न-कोई नेताजी की मूर्ति को पहनाता रहता था।
प्रश्न 4. ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि हालदार साहब चश्मेवाले की देशभक्ति के प्रति क्यों नतमस्तक थे?
उत्तर: चश्मेवाले का नेताजी की मूर्ति से विशेष लगाव था। उसमें देशभक्ति की प्रबल भावना थी, इसलिए वह प्रतिदिन नेताजी का चश्मा बदला करता था। स्वयं हालदार साहब भी बड़े देशभक्त थे। उन्हें इस बात से पीड़ा होती थी कि देश के लोग शहीदों और देशभक्तों के प्रति कृतघ्नता का भाव रखते हैं।
नेताजी की चश्मेरहित मूर्ति कस्बे के चौराहे पर लगी होना इस बात का प्रमाण थी। ऐसे में यदि कस्बे का एक अतिसाधारण और अपंग व्यक्ति समाज के उपहास और व्यंग्यों की उपेक्षा करके नेताजी की मूर्ति को चश्मा पहनाकर अपनी देशभक्ति का परिचय देता था तो निश्चय ही उसकी देशभक्ति श्लाघनीय थी। इसी कारण हालदार साहब उस चश्मेवाले की देशभक्ति के प्रति नतमस्तक थे कि धन्य है यह देशभक्त और धन्य है इसकी देशभक्ति।
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प्रश्न 5. नेताजी की मूर्ति में मूर्तिकार चश्मा क्यों न लगा सका?
उत्तर: नेताजी की मूर्ति में मूर्तिकार चश्मा इसलिए नहीं लगा सका क्योंकि वह कुशल-पेशेवर मूर्तिकार न होकर शहर के इकलौते हाईस्कूल का ड्राइंग मास्टर था। अकुशल होने के साथ-साथ उसे मूर्ति बनाने के लिए महीने भर का अपर्याप्त समय दिया गया था।
प्रश्न 6. कैप्टन चश्मेवाला नेताजी की बिना चश्मे की मूर्ति को चश्मा किसलिए पहनाता था?
उत्तर: कैप्टन चश्मेवाला वास्तव में सच्चा देशभक्त था। उसके मन में अपने देश और देशभक्तों के प्रति पूर्ण श्रद्धा कृतज्ञता का भाव था। नेताजी की बिना चश्मे की मूर्ति उसे नेताजी का अपमान लगती थी और उसके मन को आहत करती थी कि आज लोग देशभक्तों के प्रति कृतघ्न हो गए हैं।
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अतः नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और देश के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के प्रति अपना कृतज्ञता ज्ञापन करने हेतु वह मूर्ति को चश्मे का फ्रेम पहना देता था।
प्रश्न 7. ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी से प्राप्त सन्देश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी हमें यह सन्देश देती है कि हमें अपने महापुरुषो , देशभक्तों और शहीदों का सम्मान करना चाहिए। हमें कभी उनके सम्मान का आडम्बर नहीं करना चाहिए। यदि अपने महापुरुषों की मूर्तियों की देखभाल और उनका यथोक्ति सम्मान नहीं कर सकते तो उनकी मूर्तियाँ स्थापित करके अपनी श्रद्धा और देशभक्ति का आडम्बर कदापि नहीं करना चाहिए।
यह न तो उन महापुरुषों का सम्मान है और न हमारी देशभक्ति का प्रतीक, वरन् यह तो उनका घोर अपमान है। यह कहानी हमें यह भी शिक्षा देती है कि देशभक्ति केवल युद्ध लड़ना ही नहीं है, वरन् अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी से करना, देश और समाज की सम्पत्ति की रक्षा और संरक्षण करना भी देशभक्ति ही है;
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अंतः अपने कार्यक्षेत्र में हमें अपने इन कर्त्तव्यों का पालन करते हुए अपने देश की सेवा करके अपनी देशभक्ति का परिचय देना चाहिए। महापुरुषों का सम्मान, सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा और संरक्षण करनेवाले देशभक्तों का हमें कभी उपहास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे ही हमारी सभ्यता, संस्कृति और अस्मिता के ध्वजवाहक हैं, उन्हीं से हमारी पहचान है। हमें कैप्टन चश्मेवाले जैसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए, न कि पानवाले की तरह उनका उपहास उड़ाना चाहिए।
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