मौसम का अर्थ है किसी स्थान विशेष पर, किसी खास समय, वायुमंडल (Atmospheric ) की स्थिति। यहाँ “स्थिति” की परिभाषा कुछ व्यापक परिप्रेक्ष्य में की जाती है।
मौसम किसे कहते हैं? | Mosam kise kahte hai
किसी स्थान की वायुमंडलीय दशाओं (Atmospheric conditions) की अल्प अवधि का परिणाम मौसम (weather) कहलाता है। मौसम और जलवायु वायुमण्डल की भिन्न अवधियों का निष्कर्ष है। पर्यावरण पर इन दोनों पक्षों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
पर्यावरण की वर्तमान विभिन्न समस्याएँ इन्हीं दोनों की असन्तुलन दशाओं और मौसम तत्त्वों में उत्पन्न विषम अप्राकृतिक गतिविधियों के कारण ही उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए पर्यावरण के सन्दर्भ में इनके अध्ययन का विशेष महत्व है-
मौसम के विभिन्न तत्त्व | Mausam ke tatva
तापमान | Temperature
तापमान मौसम का सर्वप्रथम तत्त्व है जिसमें पृथ्वी पर सर्वत्र विभिन्नताएँ मिलती हैं। पर्यावरण पर भी मौसम का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। वर्तमान समय में तीव्र औद्योगीकरण के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग की विकट समस्या उत्पन्न हो रही है जिससे मौसम में भी अधिक तीव्रता से परिवर्तन अनुभव किया जा रहा है।
आर्द्रता | Humidity
वायुमण्डलीय नमी को आर्द्रता कहते हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी के धरातल से वाष्प की दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे वायु में जल (नमी) की मात्रा कम होती जाती है। वायुमण्डलीय आर्द्रता को तापमान सबसे अधिक प्रभावित करने वाला तत्त्व है जिस स्थान पर तापमान उच्च होता है सामान्यत: वहाँ वायु की नमी तेजी से कम हो जाती है।
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वायु की गति एवं दिशा | Wind speed and direction
मौसम पर वायु की गति और दिशा दोनों अपना प्रभाव डालती हैं। प्राय: वायु उच्च दाब वाले स्थानों से निम्न दाब वाले स्थानों की ओर बढ़ती है। वायु के बहने की कुछ निश्चित दिशाएँ हैं; जैसे-वर्षा ऋतु में पूर्वी तथा गर्मियों में पश्चिमी हवाएँ बहती हैं। ये हवाएँ जैसे स्थान से होकर बहती हैं।
इनमें वैसे ही परिवर्तन होते रहते हैं। पूर्वी हवाओं में पश्चिमी हवाओं की अपेक्षा नमी अधिक होती है। इनके चलने पर वर्षा होती है। परन्तु पश्चिमी हवा उष्ण एवं शुष्क होती हैं। अत: हवाएँ तापमान के बाद मौसम को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।
वायु दाब | Air pressure
वायु में भार होता है, इसलिए वह दबाव डालती है। किसी स्थान पर वायु का दाब उस स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई पर निर्भर करता है। कोई स्थान समुद्र तल से जितना ऊँचा होगा वहाँ वायु का दाब उतना ही कम होगा। वायुमण्डलीय (atmospheric) दाब का कम या अधिक होना वायु तापमान व उसमें नमी की मात्रा पर निर्भर करता है। इस कारण मौसम में परिवर्तन अनुभव किया जाता है।
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वर्षा की मात्रा | Amount of rain
किसी स्थान पर वर्षा की मात्रा तापमान, वायु की दिशा और वायुदाब दशाओं से अधिक प्रभावित होती है। मौसम पर वर्षा की मात्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है क्योंकि बारिश (rain) की मात्रा climate यानि मौसम की अन्य दशाओं और स्थानीय पर्यावरण (envelopment) दोनों को प्रभावित करती है।
बादल | Cloud
वायु में भाप का सबसे व्यापक रूप बादल है। बादल की दशाएँ वायु की दिशा एवं वायु दाब से प्रभावित होकर वर्षा और तापमान को प्रभावित करके मौसम को प्रभावित करती हैं। मौसम के उपर्युक्त तत्त्व ऐसे तत्त्व हैं जो मौसम और जलवायु को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
ये तत्त्व पर्यावरण की विभिन्न दशाओं और मौसम अन्य गौण तत्त्व; जैसे – ओस, ओला और कोहरा आदि की दशाओं को उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।अत : मौसम के विभिन्न तत्त्वों में तापमान, वायु की नमी , वायु की गति एवं दिशा, वायुदाब, बादल और वर्षा की मात्रा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये सभी तत्त्व मिलकर किसी स्थान के मौसम को तो प्रभावित करते ही हैं वहाँ के वातावरण की दशाओं के लिए भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
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प्रश्न ओर अत्तर (FAQ)
मौसम किसे कहते हैं उत्तर बताइए
किसी स्थान की वायुमंडलीय दशाओं की अल्प अवधि का परिणाम मौसम कहलाता है।
मौसम वातावरण की स्थिति है, उदाहरण के लिए यह वर्णन करता है कि यह किस डिग्री तक गर्म या ठंडा, गीला या सूखा, शांत या तूफानी, स्पष्ट या बादल है। मौसम हवा के दबाव, तापमान और एक स्थान और दूसरे स्थान के बीच नमी के अंतर से संचालित होता है।
मौसम कितने प्रकार के होते हैं?
बसंत ऋतु (चैत्र-बैशाख या मार्च-अप्रैल)
ग्रीष्म ऋतु (ज्येष्ठ-आषाढ़ या मर्इ-जून)
वर्षा ऋतु (श्रावण-भाद्रपद या जुलार्इ-अगस्त)
शरद ऋतु (आश्विन- कार्तिक या सितम्बर-अक्टूबर)
हेंमत ऋतु (अगहन-पौष या नवम्बर-दिसम्बर)
मौसम क्यों महत्वपूर्ण है?
मौसम पृथ्वी पर वर्षा जल के वितरण को नियंत्रित करता है। पृथ्वी पर सभी जीवित जीवों को जीवित रहने के लिए तरल पानी की आवश्यकता होती है, और मनुष्यों को पीने और कृषि (भोजन के लिए फसल उगाने) के लिए ताजे (नमकीन नहीं) पानी की आवश्यकता होती है। सूखे का इंसानों पर बड़ा असर हो सकता है और इसने पूरे इतिहास में लाखों लोगों की जान ले ली है