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मानवाधिकार (human rights) का वर्णन कीजिए।

मानवाधिकार का वर्णन कीजिए

मानवाधिकार का तात्पर्य –

सामाजिक जीवन में मानव को अपने व्यक्तित्व के विकास व समाज में स्थान निर्धारण के लिए कुछ अधिकारों की आवश्यकता होती है। अधिकारों के अभाव में मानव जीवन पशु तुल्य हो जाता है। मानव अधिकार का आशय उन स्वतन्त्रताओं से है जो धर्म, वंश, जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या इनमें से किसी भी आधार पर बिना भेद-भाव के सबके लिए उपलब्ध हों।

मानवाधिकार का वर्णन कीजिए
मानवाधिकार का वर्णन कीजिए

मानव अधिकारों की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी व फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् हुई, इसके पश्चात् विश्व समुदाय ने कुछ अधिकारों को स्वीकार किया। सन् 1941 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने मानव को चार मुख्य अधिकार देने की अनुशंसा की।

मानव को चार मुख्य अधिकार-

  • भाषण तथा विचार व्यक्त करने का अधिकार।
  • धर्म तथा विश्वास का अधिकार।
  • अभाव से स्वतन्त्रता का अधिकार।
  • भय से मुक्ति का अधिकार।

इन सभी अधिकारों की प्राप्ति के लिए अनेक सम्मेलन किए गए। विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए 1944 ई० में अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना हुई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा-पत्र तैयार किया गया, जिसमें मानवाधिकारों को स्वीकार किया गया घोषणा।

मानवाधिकारों की सार्वजनिक घोषणा-

मानवाधिकारों को स्वीकार करने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग (Commission of Human Rights) ने मानवाधिकार सिद्धान्तों का मसविदा तैयार किया। इस कार्य की पूर्ति में 3 वर्ष का समय लगा। 10 दिसम्बर, 1948 ई० को इसे सर्वसम्पत्ति से स्वीकार घोषणा-पत्र में नागरिक, राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक अधिकारों का भी प्रतिपादन किया गया है। कुछ मूलभूत अधिकार निम्नलिखित हैं-

  • काम के पश्चात् पारिश्रमिक पाने का अधिकार।
  • श्रमिक संगठनों (Trade Union) को संघटित करने का अधिकार, किया गया।
  • विश्राम तथा सामाजिक भरण-पोषण का अधिकार।
  • शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार।
  • विचार, धर्म, शान्तिपूर्वक सभाएँ करने व संगठन बनाने का अधिकार आदि।

संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के 30 अनुच्छेदों में मानवाधिकारों का उल्लेख मिलता है। वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश देशों विशेषकर प्रजातान्त्रिक देश मानवाधिकारों की घोषणा के प्रति सजग हैं। पूरे विश्व में मानवाधिकारों के प्रति जनसामान्य को जागरूक करने के उद्देश्य से 10 दिसम्बर का दिन ‘मानवाधिकार दिवस’ के रूप में माना जाता है।

अत: हम देखते हैं कि मानवाधिकारों द्वारा व्यक्तियों को अन्याय के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाता है। इन अधिकारों में यह माना गया है कि मानव को एक विशिष्ट प्रकृति है जो उसके मौलिक दायित्वों और अधिकारों को निर्धारित करती है। ये अधिकार मानवता के विकास हेतु मौलिक अधिकार हैं और इनका समादर करना आवश्यक है।

प्रश्न ओर उत्तर (FAQ)

मानवाधिकार क्या है?

सामाजिक जीवन में मानव को अपने व्यक्तित्व के विकास व समाज में स्थान निर्धारण के लिए कुछ अधिकारों की आवश्यकता होती है। अधिकारों के अभाव में मानव जीवन पशु तुल्य हो जाता है। मानव अधिकार का आशय उन स्वतन्त्रताओं से है जो धर्म, वंश, जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या इनमें से किसी भी आधार पर बिना भेद-भाव के सबके लिए उपलब्ध हों।

मानवाधिकार की सार्वजनिक घोषणा कब हुई?

इस कार्य की पूर्ति में 3 वर्ष का समय लगा। 10 दिसम्बर, 1948 ई० को इसे सर्वसम्पत्ति से स्वीकार घोषणा-पत्र में नागरिक, राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक अधिकारों का भी प्रतिपादन किया गया है।

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