वैष्णो देवी मंदिर भारत देश के जम्मू कश्मीर राज्य के जम्मू के त्रिकुटा कटारा नगर की पहाड़ियों में स्थित है। यहां लगभग 5200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। यह भारत का सबसे अधिक पवित्र स्थलों में से एक है। वैष्णो देवी मंदिर कटारा से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है इस मंदिर देख-रेख के लिए ब्रह्ममण द्वारा किया जाता है। वैष्णो देवी के रक्षक भगवान शंकर, का अवतार हनुमान जी हैं। हनुमान जी के साथ भगवान शिव का अवतार बाबा काल भैरवनाथ है।
वैष्णो देवी मंदिर का परिचय-

त्रिकुटा के कटारा की पहाड़ियों में एक गुफा माता वैष्णो देवी मानी जाती है जहां वैष्णो देवी तीन रूपों में देखी जाती है देवी काली(दाएं) सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य) तीन पिंड के रूप में विराजमान है। तथा मां वैष्णो देवी अदृश्य के रूप में मौजूद मानी हैं। तथा यहां पर भैरवनाथ मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि भैरवनाथ के बिना सारी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
वैष्णो देवी का इतिहास
पुरानी परंपराओं के अनुसार कटारा गांव में एक श्रीदर नाम का एक गरीब ब्राह्मण अपने परिवार के साथ गाँव में रहता था। श्रीधर मां वैष्णो देवी के बहुत बड़े भक्त थे। उनके यहां एक लड़की आयी जिसमें उन्होंने बोला कि आप नवरात्रि 9 वें सभी गांव वालों को भोजन करने के लिए आमंत्रित कर देना। लेकिन श्रीधर सोच में पड़ गए हैं वह गरीब हाेने के कारण हैरान हो गया। देखते देखते वह गांव के प्रत्येक परिवार को बोलने लगा हमारे यहां नवरात्रि के नववें दिन भंडारा है।और गांव में खलबिली मच गई। भैरवनाथ के शिष्य गोरखनाथ को भी आने का आमंत्रित कर दिया।
जैसे नवरात्रि का नवा दिन आया उन कन्याओं में से भी नवी कन्या वैष्णो देवी भी आ गयी जैसे-जैसे खाना खाने का समय आया वहाँ लोगों भीड़ देखकर भैरवनाथ चकित पड़ गया। यहां खाना इतने लोगों को कैसे पूरा हाे रहा है। खाने में खीर और पूरी बनाई थी। भैरवनाथ में खाना खाने से इंनकार कर दिया। मुझे मांस मदिरा पसंद है। भैरवनाथ समझ गया कि यह 9 वीं कन्या कोई साधारण नहीं है बल्कि यह काेई दिव्य कन्या है। भैरवनाथ वैष्णो देवी पीछा पीछा करते हुए तीनों लोक में घूम गया परंतु वैष्णो देवी कहीं दिखाई नहीं दी। भैरवनाथ नें अपनी दिव्य शक्ति से वैष्णो देवी का पता लगा दिया।
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वह पहाड़ों के बीच एक गुफा के अन्दर 9 महीने छुपी हुई है। वैष्णो देवी ने पहले से ही अपने सुरक्षा में भैरवनाथ यहां आएगा मुझे ढूंढने उसे मत बताना। हनुमान को इस बारे में पहले से बता दिया था। वैष्णो देवी ने हनुमान से भैरवनाथ के मारने से मना कर दिया था। जब भैरवनाथ का ज्यादा इनकार बढ़ गया तब मां वैष्णो देवी ने काली का रूप धारण करके उसका मार दिया। मां वैष्णो देवी ने आपने शरण में जगह दे दी। जब कोई मेरी यात्रा कलयुग करने को आएगा तो अगर भैरवनाथ के दर्शन नहीं करेगा तो वह यात्रा अधूरी मानी जाएगी।
माता वैष्णो देवी आज भी वहां पर पिंड रूप सरस्वती,देवी काली,लक्ष्मी,में विराजमान है। वैष्णो देवी मंदिर से 2 किलो०मीटर भैरवनाथ मन्दिर स्थित है। माना जाता है कि मां वैष्णो देवी दर्शन करने के लिए जो सच्चे मन से आता है उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है।
वैष्णो देवी मन्दिर में व्यवस्था
वैष्णो देवी मंदिर में 1986 में श्री लाइन बोर्ड की स्थापना की गई थी। तथा यहां पर आने वाले सभी यात्रियों को रहने और खाने की व्यवस्था आदि सुख सुविधाओं से जोड़ा गया था। तथा यहां पर श्री लाइन बोर्ड द्वारा यहां पर बहुत अच्छी व्यवस्था बनाई है तथा यहां पर समय-समय पर नई-नई टेक्नॉलॉजी का प्रयोग किया जाता है।
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