मां मठियाणा मन्दिर भारत देश के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है। 9287 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। या एक प्राचीन मंदिर है। जिसकी निर्माण 18 वीं शताब्दी में हुआ है। माना जाता है 100 साल पुराना मन्दिर है। यहा पर हमेशा मन्दिर के द्वार खुले रहते हैं। यह हिमालय पर्वत के बीच में बस में एक पवित्र मंदिर है।
मां मटियाणा मंदिर का इतिहास

प्राचीन काल की कथाओं के अनुसार मां मठियाणा मंदिर सिरवाडी गांव के राजवन्श की घियाण थी। जिसका विवाह तिब्बत के राजकुमार के साथ हुआ था। माना जाता है कि उनकी सौतेली मां के द्वारा उस की पति की हत्या कर दी जाती है।
पति की हत्या के बाद मां मठियाणा सती होने जाती है। फिर मां मटियाणा मां अर्ध सती होने के बाद मां इसी स्थान पर रहती है। सिरवाडी गांव में जाकर माता फिर दोषी को पति के हत्यारों को दंड देते हैं।
और जन कल्याण के लिए यही निवास कर देती हैं। हर तीन साल में सहजा माँ देवी की गाथा (डाेली) बाहर निकलती हैं। और भरवान (पूजा) हाेती हैं। यहां देवी के उग्र रूप भी हैं। बाद में समय के रूप मटियाणा खाल मैं रूप ले लेती हैं। देव मटियाणा की डोली ले जाकर भक्तगण यहां से मटियाणा का नाम प्रसिद्ध होता है मां के दर्शन पूर्णायाद के लिए हर वर्ष नवरात्रि मैं भक्तों का जवाणा (भीड़) लगी रहती है। मां मटियाणा माता सती का काली रूप है।

तथा यें स्थान देवी के सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता है यहां पर यह भी कहा जाता है कि माता अग्नि मैं सती हाेकर भगवान शिव उन के शरीर को लेकर भटक रही थे। तब भगवान विष्णु ने माता सती की मृत्यु देह की सुदर्शन चक्र से उनके कान भाग गयें थे।
माता सती का एक भाग जहां पर भी गिरा था बाद में इस भाग काे मटियाणा देवी कहा गया। माना जाता है कि माँ मटियाणा सभी देवीयों में सबसे जागृत देवी हैं। मां मटियाणा अपने भक्ताें की मनाेकामना पूर्ण करती है। यहाँ पर हजारों की संख्या में धण्टी लगी हुई है। लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है।
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मटियाणा मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य
मटियाणा मंदिर जंगल के बीच बसा एक पवित्र मंदिर है यहाँ चीड़ का जंगल भी है। जाे सिली गाँव से 1 किलाे०मीटर दूरी पैदल चलना पड़ता है। इस मंदिर में चारों और खुला में यह मंदिर स्थित है। यहा पर हरी भरी धास के मैदान भी हैं। यहाँ पर किस्म किस्म के पेड़ पौधों पाये जैसे – चीड़ , बाज, बुरास, काफल इत्यादि प्रजातियां पायें जाते हैं।
मटियाणा मंदिर के लिए रास्ता
- मटियाणा मन्दिर के लिए मुख्यतः तीन जगह से रास्ते जाते हैं।
- तिलवाड़ा से 30 किलाे०मीटर धिधंडाखाल से सिलगाें से मटियाणा देवी मंदिर
- रुद्रप्रयाग से 25 किलाे०मीटर से जवाडी से राठिया से मटियाणा देवी मंदिर
- श्रीनगर से 70 किलाे०मीटर कीर्तिनगर से बडियारगढ से साैराखाल से मटियाल देवी मंदिर
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