धारी देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के पाैडी जनपद श्रीनगर से 15 कि०मी पर कल्यासाैड में स्थित मां धारी देवी प्राचीन मन्दिर है। यह मंदिर द्वापर युग से चला आ रहा है माना जाता है, कि धारी देवी मंदिर में माता दिन में तीन बार रुप बदलती रहती है। यह सुबह में कन्या की तरह दिखती है और दोपहर में युवती की तरह दिखती है तथा शाम को महिला के रूप में दिखती हैं।
माँ धारी देवी पुरानी परंपरा के अनुसार
धारी देवी मंदिर पौराणिक परंपरा के अनुसार इस मंदिर मैं धारी देवी का ऊपरी भाग सिर स्थित है तथा धड मां मटियाणा में स्थित है माना जाता है कि मां धारी देवी सात भाइयों मे इकलौती बहन थी तथा सभी भाई-बहन आपस में प्रेम करते थे जब मां धारी देवी केवल 7 वर्ष की थी।
एक दिन सभी भाई को पता चला कि मा धारी देवी के खराब है। उनके भाई उससे नफरत करने लगे। माना जाता है कि मां धारी देवी रंग बचपन से सांवली थी। कुछ समय बाद मां धारी देवी पांच भाई मृत्यु हो गई बाद में दो भाई बचे थे उन्होंने भी शादी कर दी शादी कर दी।
मां धारी देवी जब 13 साल की थी तब दो भाई और उनकी पत्नियों ने धारी देवी काे मारने का विचार बनाया और कुछ समय बाद उसे मार दीया उनका शरीर जब नदी में बह रहा था तब कल्यासाैड के समीप एक आदमी कपड़े धो रहा था उसे आदमी ने देखा तो उसे बचाने के लिए अकेला उतनी बड़ी नदी में नहीं जा सकता था। तब आदमी ने देखते देखते एक आवाज सुनाई जी तू जहाँ जहाँ पैर रखेगा वहाँ वहाँ सिडी बन जायेगी जैसे-जैसे नदी मैं गया वह आदमी उसने सिर देखा तो चकित हो गया जैसे ही नदी से बाहर निकाला तो फिर एक आवाज सुनाई दी। मुझे एक पत्थर स्थापित कर दो फिर वह पत्थर की मूर्ति आज तक पत्थर के रूम में जानी जाती है।
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Maa धारी देवी का क्रोध
माना जाता है कि माँ जब धारी देवी काे क्रोध आता है तब मां धारी देवी किसी की नहीं सुनती है। एक बार की बात है जब धारी देवी मंदिर 313 मेगा वाट विद्युत परियोजना सरकार के कहने पर स्थान से हटा दिया गया था तब 2013 की आपदा आई थी मान्यताओं के अनुसार जब मंदिर को दूसरी जगह स्थापित किया गया। उसके तुरंत बाद आपदा आई थी जाे कि मां धारी देवी चारों धाम की रक्षा करती है। अगर हम मा धारी देवी बात करें तो सोने से भी अधिक सुशोभित और सुंदर मंदिर है।

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