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लैंगिक जनन (SEXUAL REPRODUCTION)

नमस्कार दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि आप सब स्वस्थ होंगे। तो आज के इस लेख में हम लैंगिक जनन के बारे में जानेंगे क्या होता है ये, क्या इसकी प्रक्रिया होती है तो चलिए शुरू करते हैं।

लैंगिक जनन प्रजनन की वह प्रक्रिया है जहाँ दो विपरीत प्रमाय (strains ) जैसे स्टेन + व — अथवा विपरीत लिंग के नर व मादा (Male and female) जनक के युग्मकों का संलयन होता है।” मुख्यतः लैंगिक जनन में दो प्रमुख प्रक्रियाएं होती हैं।

(अ)युग्मक जनन (Gametogenesis): इसमें द्विगुणित मातृ कोशिका (diploid mother cell) में अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप अगुणित (haploid) नर अथवा मादा युग्मक (gamete) बनते है।

(ब) निषेचन (Fertilization): इस क्रिया में एक नर व एक मादा युग्मक जो दो भिन्न जनको से प्राप्त होते हैं उनका संलयन (fusion) होता है।

अर्थात् एक अर्धसूत्री विभाजन व एक संलयन के बिना लैंगिक जनन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती है। द्विगुणित जीव में पहले अर्धसूत्री विभाजन होता है फिर संलयन परन्तु अगुणित जीवों में पहले संलयन होता है फिर अर्धसूत्री विभाजन से मियोस्पोर् बनते हैं जिनके अंकुरण से अगुणित पादप बनता है।

निषेचन के पश्चात् भ्रूण जनन (embryogenesis) की क्रिया उच्च जीवों मे होती है। भ्रूण से नया जीव बनता है। लैंगिक जनन से प्राप्त संतति कभी अपने जनकों के समान नहीं होती है। इनमें विविधता मिलती हैं।

जीवन की विभिन्न प्रावस्थाएँ (PHASES OF LIFE)

जीवन की मुख्यतः तीन प्रावस्थाएँ हैं—

  1. किशोरावस्था (Juvenile state)
  2. जनन अवस्था (Reproductive phase)
  3. जीर्णावस्था (Senescent phase)

किशोरावस्था (Juvenile state)

जन्म से परिपक्वन से पूर्व की अवस्था किशोरावस्था (juvenile state) कहलाती है। पौधों में इसको कायिक अवस्था (vegetative phase) कहते हैं। दूसरा काल सभी जीवों में अलग-अलग होता है।

जनन अवस्था (Reproductive phase)

यह वह अवस्था है जब जीव प्रजनन के लिए सक्षम होता है। कुछ पौधों में पूरे वर्ष फल आते हैं परन्तु कुछ पौधे ऋतु के अनुसार पुष्पन करते है। कुछ पौधों में जीवन काल में केवल एक बार पुष्पन होता है तथा उसके पश्चात् वे समाप्त हो जाते हैं। जैसे- बाँस में 50-100 वर्ष में केवल एक बार पुष्प आता है। एगेव अमेरिकाना में 100 वर्ष में एक बार पुष्प आते हैं। स्ट्रेबिलेंथस कुंतियाना (Strobilanthus kunthiana) अथवा नील कुरंजी मे 12 वर्ष में एक बार फूल आता है। 2006 में केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक के पहाड़ी भागों में इस पौधे पर इतने पुष्प आए कि सड़के पुष्पों से भर गई। प्रजनन काल पौधों तथा जन्तओं मे पृथक्-पृथक् होता है।

प्रकृति में देखें तो अण्डे केवल ऋतु (season) में देते हैं परन्तु पालतू पक्षी से हर रोज अण्डे प्राप्त किए जा सकते हैं। स्तनधारी मादा में अण्डकोशों में सक्रियता चक्रिक तथा सहायक वाहिका और हार्मोन में परिवर्तन होता है। नान प्राइमेट स्तनधारियों में (गाय, भैस, भेड़, हिरन, कुत्ता, चीता, चूहा) आदि में जनन काल में होने वाले चक्रिक परिवर्तन को मद चक्र (ओएस्ट्र्स चक्र) करते है जबकि प्राइमेट (बन्दर) मानव, लंगूर (आदि) में इसे ऋतु स्राव चक्र (मेन्सटुअल चक्र) कहते हैं।

वनों में रहने वाले स्तनधारियों में जनन अवस्था के समय अनुकूल परिस्थियों में इन चक्रों का प्रदर्शन होता है, अतः इन्हें ऋतु निष्ठ (Searonalar swede) अथवा मौसमी प्रजनक कहते हैं। जो स्नतधारी अपने सम्पूर्ण जनन काल में जनन सक्रिय होते हैं उन्हें सतत प्रजनक (continuous breeders) कहते हैं।

ऋतुस्राव चक्र (Menstrual cycle)

यह 28 दिन का होता है। सामान्यतः 12 से 15 वर्ष की आयु में आरम्भ होकर 45-50 वर्ष मादा मानव में मिलता है। इस समय में गर्भाशय रक्तत्ता का रिसाव होता है।

मद चक्र (Oestrus cycle)

यह कम समय के लिए होता है, इसे मद काल (heat period) भी कहते हैं। गाय मे यह 12-24 घण्टे का होता है उसके पश्चात् विश्राम अवस्था (anoestrous period) आरम्भ होता है। यह निष्क्रिय अवस्था है। इस चक्र में एक रक्त रिसाव नहीं होता है परन्तु इस अवस्था में ग्रहण किये गए वीर्य से गर्भधारण होता है।

जीर्णावस्था (Senescent phase)

यह वृद्धावस्था है। जनन काल की समाप्ति के पश्चात् जीवनपर्यन्त रहती है। इस काल में शरीर जीर्ण होता है, अंग शिथिल हो जाते हैं अन्त मे मृत्यु होती है।

युग्मक जनन (Gametogenesis)

युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया को युग्मक जनन (gametogenesis) कहते हैं। युग्मक अगुणित होते हैं।

समयुग्मक (isogamete)
समयुग्मक (isogamete)

जब नर व मादा युग्मक आकारिकी में समान होते है उन्हें समयुग्मक (isogamete) कहते हैं।

विषमयुग्मक (anisogamete)
विषमयुग्मक (anisogamete)

आकारिकी में असमान युग्मकों को विषमयुग्मक (anisogamete) कहते हैं।

अण्ड (egg or ovum)
अण्ड (egg or ovum)

नर युग्मक को एन्थीरोजोइड (antherozoid) अथवा शुक्राणु (sperm) कहते हैं तथा मादा युग्मक को अण्ड (egg or ovum) कहते है।

लैंगिक जनन किसे कहते हैं?

जहाँ दो विपरीत प्रमाय (strains ) जैसे स्टेन + व — अथवा विपरीत लिंग के नर व मादा (Male and female) जनक के युग्मकों का संलयन होता है।

लैंगिक जनन की कितनी अवस्थाएँ होती है ?

लैंगिक जनन की तीन अवस्थाएँ होती है-
किशोरावस्था, जनन अवस्था और जीर्णावस्था।

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