नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में आपका स्वागत है उम्मीद करता हूँ कि आप सब अच्छे होंगे, आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे कि लघु बीजाणु जनन तथा परागकण क्या होता है तो चलिए शुरू करते हैं।
लघु बीजाणु मातृ कोशिकाओं में अर्ध-सूत्री विभाजन के फलस्वरूप प्रत्येक मातृ कोशिका से चार अगुणित लघु बीजाणु बनते हैं। ये चारों लघु बीजाणु विभिन्न प्रकार से चतुष्कों (tetrads) के रूप में जुड़े रहते हैं।

ये चतुष्क पाँच प्रकार के होते हैं; जैसे-
- रैखिक (Linear)
- समद्विपार्श्विक (Isobilateral)
- क्रासित (Decussate)
- टी-आकारीय (‘T’ shaped)
- चतुष्फलकीय (Tetrahedral)।

सामान्यत: चतुष्क से चारों परागकण अलग हो जाते हैं। कुछ पौधों में ये परागकण अलग नहीं होते हैं तथा संयुक्त परागकण के रूप में रहते हैं; जैसे टाइफा (Typha) में। आर्किड (Orchid) तथा कुछ अन्य पौधों में; जैसे मदार (Calotropis) में परागकोश के सभी चतुष्क इकट्ठे हो जाते हैं तथा एक जटिल संरचना परागपिंड (pollinium) बनाते हैं।
लघु बीजाणु अथवा परागकण की संरचना (Structure of Microspore or Pollen Grain)
प्रत्येक परागकण एक अगुणित (haploid) कोशिका है जिसकी बाह्यचोल (exine) मोटी, सख्त व अलंकृत (ornamented) संरचना है। यह स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) से निर्मित होती है। जबकि उसके भीतर की तरफ एक पतली झिल्लीनुमा पेक्टिन व सेल्यूलोस की बनी संरचना होती है जिसे अन्त:चोल (intine) कहते हैं।
परागकण (pollen grain) के अंकुरण के समय पराग नली इसी अन्त: चोल से बनती है। इन भित्तियों के अन्दर कोशिकाद्रव्य मिलता है तथा इस द्रव्य में एक बड़ा केन्द्रक होता है। लघुबीजाणु नरयुग्मकोद्भिद (male gametophyte) की प्रथम कोशिका है।

पराग कणों की संरचना प्रत्येक कुल तथा पौधे में उसके बाह्यचोल (exine) के अलंकरण से भिन्न हो जाती है। यह लक्षण वर्गीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परागकणों का अध्ययन आज के सापेक्ष में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। एलर्जी (allergy) तथा अपराध विज्ञान (criminology) में भी इसका ज्ञान आवश्यक है। यह एक सम्पूर्ण विज्ञान है जिसे परागाणु विज्ञान ( palynology) कहते हैं। इसके अन्तर्गत परागकणों का आकार, प्रकार तथा अलंकरण का अध्ययन किया जाता है।
लघुयुग्मक जनन (Microgametogenesis )
पराग कणों से नर युग्मकों के बनने को लघुयुग्मक जनन कहते हैं। यह क्रिया सामान्यतः परागकोश में ही हो जाती है अर्थात् परागकण परिपक्वावस्था में ही परागकोश से अलग होते हैं तथा परागण होता है। सर्वप्रथम इस क्रिया में केन्द्रक को एक ओर करके एक बड़ी रिक्तिका (vacuole) बनती है। अब इस कोशिका में सूत्री विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप दो कोशिकाएँ बनती हैं।
एक छोटी जनन कोशिका (generative cell) तथा दूसरी बड़ी कायिक कोशिका (vegetative cell) बनती है। दूसरा विभाजन जनन कोशिका में होता है जिसके फलस्वरूप दो नर युग्मक (male gametes) बनते हैं। इस स्तर पर परागकण तीन कोशिकीय (कायिक कोशिका तथा दो नर युग्मक) होता है। आवृतबीजी का लघुयुग्मकोद्भिद् तीन कोशिकीय (3-celled) होता है।

लघुबीजाणु जनन तथा गुरुबीजाणु जनन के बीच अन्तर स्पष्ट करें?
लघुबीजाणु जनन परागकोश की परागधनी में होता है। इस क्रिया में अर्धसूत्री विभाजन लघुबीजाणु मातृ कोशिका में होता है। इसके परिणामस्वरूप लघुबीजाणु बनते हैं। गुरुबीजाणु जनन बीजाण्ड में होता है जहाँ बीजाण्डकाय (nucellus) की एक कोशिका गुरुबीजाणु मातृ कोशिका का कार्य करती है। इस कोशिका में अर्धसूत्री विभाजन से गुरुबीजाणु बनता है।
फूल की वह सूक्ष्मदर्शी संरचना जिसमें ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) मिलते हैं क्या कहलाते हैं ?
भ्रूणकोश