Hubstd.in

Big Study Platform

No ratings yet.

कृत्रिम कायिक प्रवर्धन में रोपण की विधि क्या है ?

नमस्कार दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि आप सब लोग अच्छे होंगे। दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको कृत्रिम कायिक प्रवर्धन में प्रयुक्त होने वाले सबसे बेहतर विधि के बारे में बताएँगे। पिछले लेखों में हमने अन्य विधियों के बारे में बताया तो एक बार ज़रूर पढ़े। तो चलिए शुरू करते हैं।

रोपण (Grafting)

इस विधि से नई-नई किस्में भी बनाई जा सकती हैं। इसमें दो अलग-अलग पौधों के भागों को जोड़ते हैं। एक पौधे के जड़ युज प्ररोह पर जिसे स्टॉक (Stock) कहते हैं, दूसरे पौधे के प्ररोह का टुकड़ा अथवा स्थान (Scion) जोड़ा जाता है। दो भिन्न पादपों के भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे एक ही पादप के रूप में जीवित रहें इस क्रिया को रोपण (grafting)कहते हैं। ऐसी प्रक्रिया आम, नींबू, सेब, आदि में अपनाई जाती हैं।

इस क्रिया में स्टॉक कैम्बियम को स्थान के कैम्बियम को सीधे सम्पर्क में रखा जाता है जिससे नए बनने वाले जाइलम व फ्लोएम एक दूसरे से सम्पर्क में रहें। इस प्रकार स्टॉकस्यान जुड़कर एक ही पौधे के रूप में विकसित होते हैं। स्यान हमेशा वांछित पौधे का होना चाहिए। स्टॉक राग प्रतिरोधी तथा खनिज अवशोषण में अच्छा होना चाहिए। स्यान अच्छा, गुणयुक्त होना चाहिए। रोपण में तिरछे काट लगाए जाते हैं। सामान्यतः यह क्रिया सम्बन्धित प्रजाति के पौधों के मध्य करवाना चाहिए। रोपण मुख्यतः दो प्रकार से होता है।लेकिन आपको अभी केवल स्यान रोपण के बारे में बताएँगे।

स्यान रोपण (Scion grafting):

दोनों पौधों में से एक मृदा में जड़ के साथ होता है जिसे स्टॉक कहते हैं तथा छोटे प्ररोह का अंश होता है जिसमें एक या अधिक कलिकाएँ उपस्थित होती है उसे स्यान कहते हैं। स्यान रोपण के कई मार्ग हैं जैसे—

स्यान रोपण (Scion grafting)
स्यान रोपण (Scion grafting)
  1. व्हिप अथवा टंग रोपण (Whip or tongure grafting): स्टॉक व स्थान का व्यास लगभग समान होता है (1-1.5 सेमी०) स्टॉक में 5-8 सेमी० लम्बा तिरछा काट, इस प्रकार लगाया जाता है कि स्यान इसमें ठीक से फिट हो जाए। स्टॉक पर से कलियाँ हटा ली जाती हैं परन्तु स्थान पर कलियों के फूटने से ही नया पौधा बनता है।
  2. क्राउन रोपण (Crown grafting): स्टॉक का व्यास स्थान से अधिक होता है। एक ही स्टॉक पर एक से अधिक स्यान रोपित किए जा सकते हैं। स्यान का निचला भाग लम्बे नुकीले रूप में काटकर स्टॉक में लगा दिया जाता है तथा इसे कसकर स्टॉक से बाँध देते हैं। आवश्यकता पड़ने पर रोपण मोम (grafting wax) का प्रयोग किया जाता है
  3. वेज रोपण (Wedge grafting): स्टॉक व स्यान एक समान व्यास वाले होते हैं। स्टॉक पर ‘V’ आकार का काट लगाकर स्थान की जो वेज (wedge) अथवा फरसे के आकार का होता है रोपित कर देते हैं। इसको कसकर पोलीथीन अथवा टेप से बाँध देते हैं।
  4. कलिका रोपण (bud grafting): इस क्रिया में स्थान एक कलिका (single bud) मात्र होती है। स्टॉक में T आकार का काट लगाया जाता है तथा इसमें इस कलिका को फंस देते हैं। स्टॉक में काट हाल में लगाया जाता है तथा इसमें इस कलिका को फैसा देते हैं। स्टॉक में काट डाल को लगाया जाता है। इस छाल को कस कर बाँध देते हैं कलिका के अंकुरण से नया पौधा मिलता है। यह क्रिया गुलाब, आडू आदि में अपनाई जाती है। कलिका लगाने से पूर्व ऐसे स्टॉक का चयन करना चाहिए जिसमें सक्रिय वृद्धि हो तथा कली का चयन ऐसे पौधे से करना चाहिए जो परिपक्व व रोग मुक्त हो।

रोपण (Grafting) किसे कहते हैं ?

दो भिन्न पादपों के भागों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे एक ही पादप के रूप में जीवित रहें इस क्रिया को रोपण (grafting) कहते हैं।

स्यान रोपण क्या है ?

दोनों पौधों में से एक मृदा में जड़ के साथ होता है जिसे स्टॉक कहते हैं तथा छोटे प्ररोह का अंश होता है जिसमें एक या अधिक कलिकाएँ उपस्थित होती है उसे स्यान कहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

downlaod app