नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में आपका स्वागत है तो आज के इस लेख हम आपको बताएँगे की कृत्रिम कायिक प्रवर्धन में दाब कलम लगाने की विधि के बारे में बताएँगे। पिछले लेख में कलम लगाने के बारे में बताया था तो एक बार पिछले लेख को ज़रूर पढ़े। तो चलिए शुरू करते है।
दाब कलम (Layering)
इस क्रिया में तने पर जड़ें उगाई जाती हैं जबकि वह मुख्य पौधे पर ही स्थित होता है। यह क्रिया समान्यतः उन पौधों में की जाती है जिनमें सामान्यतः कलम लगाने की प्रक्रिया सफल नहीं होती है। तने का एक भाग कुछ समय के लिए मन मृदा में दबा दिया जाता है। जहाँ से नई जड़ें निकल आती हैं। इसके पश्चात् यह भाग मुख्य तने से अलग कर दिया जाता है तथा एक स्वतन्त्र पौधे के रूप में विकसित किया जाता है। यह प्रक्रिया सामान्यतः फलदार वृक्षों व सजावटी पादपों में अपनायी जाती है। यह दो प्रकार से की जाती है—
माउन्ड लेयरिंग (Mound layering): तने की निचली शाखाओं को झुकाकर उसका कुछ भाग बीच में से मृदा में दबा देते हैं। इसका शीर्ष बाहर ही रहना चाहिये इस क्रिया को शाखा दाब कलम (branch layering) कहते हैं। कुछ समय पश्चात् इस दबे भाग से अपस्थानिक जड़ें निकल आती हैं। इस भाग को अब मुख्य पौधे से अलग कर दिया जाता है, तथा स्वतन्त्र पौधे के रूप में विकसित करते हैं। जैसे-स्ट्राबेरी, रसभरी, अंगूर व बेला आदि।

शीर्ष दाब कलम (Tip layering): लचीली शाखा को मोड़कर दूसरे शीर्ष को मृदा में दबा दिया जाता है। इस क्रिया को शीर्ष दाब कलम कहते हैं।

सर्पिल दाब कलम (Serpentine layering): शाखा को भूमि में क्षैतिज रखकर निश्चित अन्तराल पर कई स्थान पर मृदा से इस प्रकार दबाते हैं कि कुछ भाग खुला रहता रहे। दबे भाग से कुछ समय बाद नयी शाखा व पौधे निकल आती हैं इसे सर्पिल दाब कलम कहते हैं।

सतत अथवा खार्द दाब (Truth layering): मात्र पौधे की आधारीय अथवा मध्य शाखाओं को झुकाकर मृदा में दबा दिया जाता है परन्तु इसका शीर्ष भाग ऊपर रहता है कुछ समय पश्चात् दबे भाग से जब पादप फूटता है तो इसे ट्रन्च लेयरिंग कहते है।

एयर लेयरिंग अथवा गूटी लगाना (Airlayering or Gootee): इस क्रिया में शाखा के ऊपर ही नम मृदा लपेटकर दाब कलम लगाते हैं। यह क्रिया उन पौधों पर की जाती है जिनकी शाखाएँ सख्त होती है तथा झुकाई नहीं जा सकती है। शाखा में एक स्थान पर गर्डिल (girdle) बनाते हैं। उस पर नम मृदा लपेटकर उस पर नम रुई अथवा माँस आदि लगाकर उसे पोलीथीन से बाँध देते हैं। इस स्थान के ऊपर एक छोटे से घड़े में पानी भरकर लटका देते हैं। इस घड़े में एक छेद नीचे कर दिया जाता है जिससे बूँद-बूँद कर पानी उस स्थान पर पड़ता रहता है तथा नमी बनी रहती है। इस स्थान पर अपस्थानिक जड़ें कुछ समय बाद निकल आती हैं। इस विधा को गूटी (Gootee) लगाना भी कहते हैं।

जड़ें निकलने के बाद यह स्थान मातृ पौधे से अलग कर दिया जाता है तथा स्वतन्त्र पौधे के रूप में विकसित होता है। शीघ्र जड़े निकलने के लिए अविकसन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
दाब कलम किसे कहते हैं?
तने का एक भाग कुछ समय के लिए मन मृदा में दबा दिया जाता है। जहाँ से नई जड़ें निकल आती हैं। इसके पश्चात् यह भाग मुख्य तने से अलग कर दिया जाता है तथा एक स्वतन्त्र पौधे के रूप में विकसित किया जाता है।
गूटी लगाना क्रिया किन पौधों पर की जाती है ?
क्रिया उन पौधों पर की जाती है जिनकी शाखाएँ सख्त होती है तथा झुकाई नहीं जा सकती है।