जनसंख्या व परिवार नियोजन | जनसंख्या वृद्धि की हानियाँ व कारण
नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब उम्मीद करता हूँ कि आप सब कुशल मंगल होंगे। तो मैं आज आपके लिए लेकर आया हूँ जनसंख्या व परिवार नियोजन क्या है तो चलिए शुरु करते हैं।
मनुष्य के सन्दर्भ में जनसंख्या का अर्थ है मनुष्य की जनसंख्या (human population)। इसका अध्ययन विश्व स्तर पर तथा भारतवर्ष के स्तर पर किया जा सकता है।
विश्व की जनसंख्या (World Population)
पृथ्वी पर मानव का विकास लगभग एक लाख वर्ष पूर्व हुआ। उस समय विश्व में मानव जनसंख्या बहुत कम थी। मनुष्य छोटे-छोटे समूहों में सीमित स्थानों पर रहते थे। धीरे-धीरे थे पूरी पृथ्वी पर फैल गये।
विश्व में मानव आबादी का अध्ययन नीचे तालिका में दिया गया है। इससे निम्नलिखित निष्कर्ष निकलते हैं :
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- आदिकाल में जनसंख्या की समस्या नहीं थी क्योकि उस समय जन्मदर बहुत कम थी।
- आबादी बढ़ने के साथ-साथ जन्मदर बढ़ती गई किन्तु जन्मदर अधिक होने पर भी जनसंख्या में वृद्धि दर कम रही क्योंकि प्राकृतिक प्रकोप, अकाल मृत्यु एवं महामारी व संक्रामक रोगों से मृत्यु के कारण आबादी सीमित रूप से बढ़ी। आजकल पर्याप्त खाद्य एवं पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं तथा तकनीकी विकास के कारण अब मृत्युदर कम हो गई है। मनुष्य की औसत आयु 40 वर्ष से बढ़कर 60 वर्ष से भी अधिक हो गई है।
इससे वर्तमान में जन्मदर बढ़ने और मृत्युदर घटने से पृथ्वी पर मानव जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। आजकल विश्व में प्रति सेकण्ड दो बच्चे जन्म ले रहे हैं। विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या को नीचे ग्राफ से समझा जा सकता है–

सन् 1650 ई० में विश्व की जनसंख्या 54.5 करोड़ थी। इसके 200 वर्ष बाद सन् 1850 ई० में जनसंख्या लगभग 110 करोड़ हो गई। सन् 1950 में यानी 100 वर्ष बाद ही जनसंख्या फिर से दुगुनी हो गई।
अनुमान है कि सन् 2000 ई० पर धरती पर मनुष्यों की संख्या 600 करोड़ हो जाएगी। अगर जनसंख्या में वृद्धि की यही गति रही तो शीघ्र ही इस भू-मण्डल पर भोजन एवं आवास की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जायेगी।
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जनसंख्या वृद्धि से हानियाँ (Disadvantages of Population Growth)
जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश की विकास योजनाएँ बेकार सिद्ध हो रही हैं, तथा आर्थिक व सामाजिक विकास की गति धीमी रही है। जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न कुछ प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं :
खाद्य समस्या (Food Problems): जनसंख्या की लगातार वृद्धि के कारण खाद्यानों की आपूर्ति दूभर होती जा रही है। खाद्यान्नों की कमी के कारण अनेकों दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
- उपलब्ध खाद्य सामग्री पर्याप्त नहीं है तथा उसमें पोषक गुणों की कमी होती जा रहा है।
- पर्याप्त खाद्य सामग्री के अभाव में बच्चों का शारीरिक विकास मन्द पड़ रहा है तथा उनकी कार्य क्षमता घट रही है।
- कुपोषण एवं संक्रमण के कारण बच्चों की मृत्युदर बढ़ रही है।
- कार्यक्षमता कम होने के कारण उद्योगों में उत्पादन गिर रहा है।
- उत्पादन गिरने के कारण आपूर्ति समस्या बढ़ रही है। यदि आबादी को नियन्त्रित नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियों में अनेक विकारों के उत्पन्न होने की सम्भावना है, जैसे–
- बौनापन
- शारीरिक भार में कमी
- शारीरिक शक्ति में कमी
- कार्य करने की क्षमता में कमी
- विकलांग बच्चों का जन्म
शिक्षा व्यवस्था की समस्या: जनसंख्या वृद्धि के कारण विद्यालयों की सामर्थ्य कम होती जा रही है और कितने ही बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। जिन बच्चों को प्रवेश मिल जाता है, उनको उचित मात्रा में भौतिक साधन जैसे मेज, कुर्सी, प्रकाश, प्रयोगशाला, खेल का सामान व खेल के लिए मैदान आदि उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
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रोजगार समस्या: बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ रोजगार के साधन उसी गति से नहीं बढ़ रहे हैं। इसके कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है जिससे परिवार के सदस्य कुपोषण एवं अन्य रोगों के शिकार हो रहे हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं की समस्या: बार-बार गर्भ धारण करने एवं निरन्तर दुग्धपान कराने से माता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल पड़ता है। जल्दी-जल्दी गर्भ धारण करने के कारण निम्न कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं।
- शिशु को माता का दूध जल्दी छोड़ना पड़ता है जिससे उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास ठीक से नहीं होता है।
- जल्दी गर्भ धारण करने से पहले शिशु की देखभाल ठीक से नहीं हो पाती है।
- अनेक बच्चों के कारण परिवार को कुपोषण का सामना करना पड़ता है।
सीमित स्थान के कारण अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएँ नहीं मिलती हैं तथा रोगियों की देखभाल भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है। उचित चिकित्सा के अभाव में अस्वस्थ नागरिकों की संख्या बढ़ती जा रही है।
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आवास समस्या: आवास की कमी के कारण अधिकांश परिवार गन्दे, प्रकाशहीन घरों व झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को बाध्य हैं। साथ ही सफाई की उचित व्यवस्था के अभाव एवं साफ पानी की कमी के कारण अस्वस्थ नागरिकों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
यातायात एवं परिवहन की समस्या: जनसंख्या में तेजी से होने वाली वृद्धि के कारण बसों व ट्रेनों में भीड़ बढ़ रही हैं और यातायात के साधन अपर्याप्त हैं।
रहन-सहन का निम्न स्तर: जनसंख्या में वृद्धि कारण परिवारों के रहन-सहन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। सीमित साधनों के कारण सबकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना असम्भव-सा होता जा रहा है।
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जनसंख्या वृद्धि के कारण (REASONS OF POPULATION GROWTH)
अपने देश में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने के निम्न कारण हैं:
- मृत्युदर में निरन्तर कमी: आधुनिक चिकित्सा प्रणाली, वैज्ञानिक साधनों एवं नवीन औषधियों की खोज के फलस्वरूप मृत्युदर में कमी आई है।
- जन्मदर में वृद्धि: उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार अपने देश में 1946 में मृत्युदर 22.4 प्रति हजार से 1978 में कम होकर केवल 14.2 प्रति हजार रह गई।
- कम आयु में विवाह: देश के अशिक्षित एवं रूढ़िवादी परिवारों में आज भी बाल विवाह की प्रथा है। कम आयु में विवाह करने से बच्चों का जन्म भी पहले होता है।
- कम आयु में कौमार्य: भारत एक गर्म देश है। अतः यहाँ के लड़के व लड़कियाँ कम आयु में युवा हो जाते हैं। यह विश्वास करते।
- निम्न सामाजिक स्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनता निर्धन है। अतः इन क्षेत्रों के वासी हैं कि जितने अधिक बच्चे होंगे वे काम करके धनोपार्जन करेंगे।
- निरक्षरता: यह भी जनसंख्या वृद्धि का एक मुख्य कारण है क्योंकि भारत की अधिकांश जनता निरक्षर है। ये लोग भी छोटे परिवार के महत्व को नहीं समझ सकते हैं।
- सामाजिक रीति-रिवाज: भारत में लोगों का विश्वास है कि पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए पुत्र का होना आवश्यक हैं। अतः पुत्र की प्राप्ति की कामना में वे अधिक सन्तान उत्पन्न करते हैं।