जाख देवता मंदिर भारत देश के उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के गुप्तकाशी में स्थित है यह गुप्तकाशी से देवल गांव ओर रुद्रपुर में स्थित है। यह समुद्र तल से 15065 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह मंदिर गुप्तकाशी से ही 5 किलो०मीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है।
जाख देवता का परिचय

जाख देवता मंदिर प्राचीन मंदिर हैं। जहां भगवान अंगारों (आग) के साथ नृत्य करता है। यह नृत्य सदियों पुरानी परंपरा से चली आ रही है। यहां पर हर वर्ष 14,15 तारिक बैसाखी के दिन माह के मेले का आयोजन होता है जिसमें 20,000 से अधिक संख्या में भक्तजन जाख देंवता का दर्शन करने आते हैं।
मेल के शुरू होने से पहले भक्तजन नंगे पांव जंगल में जाकर लकड़ियां एकत्रित करके जाख मंदिर मे लाते हैं। जहां पर जाख मंदिर में कई टन लकड़ियों से भव्य अग्नि कुंड तैयार होता है। जाट देवता मेले से 1 दिन पहले की दांत अग्नि कुंड वह मंदिर की पूजा की जाती है।
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फिर लकड़ियाँ रात भर जलाई जाती है। तथा नारायण काेटी, काेठेडा गांव की महिला रात भर भजन करती रहती है। तथा दूसरे दिन आग के अंगारों से जलती हुई कोयला में नित्या करता हैं।
तथा इसी अवसर पर दूर-दूर गांव के लोग यहां पर मेला के दर्शन करने के लिए आते हैं। तथा यह भव्य मंदिर 14 गांवों के मध्य आयोजन किया जाता है। जिसमें 10 से 15 फीट ऊंचा पर लकड़ीया रखी रहती हैं।
जाख देवताओं का इतिहास

जाख देवता मन्दिर 11वीं शताब्दी में इसका निर्माण हुआ था। जाख देवता लक्ष का दूसरा रूप है। वनवास में रह रहे जब एक पाेखर (तालाब) में प्यास बुझाने पहुंचा तो पाेखर रखवाले यक्ष के सवालों का जबाब न देने के कारण मर गये। अंततः युधिस्टर ने सभी प्रशन के उत्तर देकर अपने भाइयों के प्राण बचायें। किंवदन्ती हैं। कि यह जलाशय अब तक उस जलाशय मैं पेड़ों के टुकड़े काटकर धधकती अग्नि में जााख देवता लाल अंगारों (अग्नि) से नाचता हैं। उस पल देवता को जगह पानी ही नजर आता हैं। उत्तराखंड को यूं ही नहीं कहा जाता देवभूमि क्यों यहाँ पर कड कड में देवता बसें हैं।
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जाख मन्दिर की उत्पत्ति

माना जाता है कि कलयुग में कोई आदमी वहां पर मकान बना रहा था जैसे ही मकान की कटान की तैयारी करा था वहां पर प्राचीन मंदिर, और मूर्तियां दिखाई देने लगी। वह आदमी चकित हो गया। और उसी रात और सो रहा था। उसके सपने में एक देवता अपने बारे में बताया। फिर उस आदमी ने गांव वालों को बताया।
फिर उस व्यक्ति ने ने मंदिर का निर्माण करा दिया। फिर जाख देवता के रूप में प्रकट हो गया। माना जाता है कि नार देवता 3 मिनट तक इस अग्नि को अग्नि कुंड में नाचता है। परंतु उसके नंगे पैर पार कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लोगों के सामने यह सच्ची घटना सामने दिखाई देती है। और लोग की आंखें नम रहकर इस दृश्य हो देखते रह जाते हैं।
जाख देवता मन्दिर का रास्ता
हरिद्वार (204) से ऋषिकेश (181)होते हुए श्रीनगर (74)से रुद्रप्रयाग(44) से अगस्मुनि (25)चंद्रपुरी (18) से भीरी से कुंड (8) से गुप्तकाशी (6)से रुद्रपुर (5) किलाे०मीटर दूरी स्थित हैं यह मंदिर?
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