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जैव विविधता क्या है? | जैव विविधता के प्रकार | जैव विविधता संरक्षण के उद्देश्य-

जैव विविधता ( Biodiversity ) सभी विभिन्न प्रकार के जीवन हैं जो आप एक क्षेत्र में पाएंगे – विभिन्न प्रकार के जानवर, पौधे, कवक ( animal, plant, fungus ) और यहां तक कि बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव (microorganism) जो हमारी प्राकृतिक दुनिया को बनाते हैं। इनमें से प्रत्येक प्रजाति और जीव संतुलन ( Species and fauna balance ) बनाए रखने और जीवन का समर्थन करने के लिए एक जटिल वेब की तरह पारिस्थितिक तंत्र में एक साथ काम करते हैं।

जैव विविधता क्या है? | Jaiv vividhata kya hai

जैव विविधता का अर्थ: यह किसी विशेष क्षेत्र या आवास में पाए जाने वाले जीवों (पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों) की विविधता को संदर्भित करता है। किसी विशेष क्षेत्र में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले जीवों की उपस्थिति जैव विविधता कहलाती है

जैव विविधता (Biodiversity) से तात्पर्य: किसी भी निश्चित प्रकृति क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव जंतुओं तथा पेड़ पौधों की अनेक प्रजातियों की विविधता तथा संख्या को उस स्थान विशेष की जैव विविधता (Biodiversity ) कहते हैं। जैव विविधता को बदला नहीं जा सकता क्योंकि एक जाति, विशेष आवास में रहते हुए उनकी अभ्यस्त हो चुकी है।

जैव विविधता शब्द किसने दिया-

जैव विविधता शब्द का प्रयोग कुछ वर्षों से शुरू हुआ है। ये जैवमण्डल में पाए जाने वाले पौधों, जन्तुओं तथा सूक्ष्म जीवों के मध्य परस्पर विभिन्नता को दर्शाता है जैव विविधताओं को बदला नहीं जा सकता क्योंकि एक जाति, विशेष आवास में रहते हुए उनकी अभ्यस्त हो चुकी है,

अतः अपनी प्रकृति में भिन्न होते हुए भी लगभग 2.5 लाख जातियाँ धीरे-धीरे विलुप्त हो चुकी हैं तथा हजारों संकटग्रस्त जातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। एक जाति के पूर्ण रूप से विलुप्त होने का अर्थ है पूरे जीन पूल का विलुप्त होना। जैव विविधता की सम्पूर्ण सूचना जीन में निहित होती है, अत: जातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए जीन का संरक्षण परमावश्यक है।

जैव विविधता क्या है? | जैव विविधता के प्रकार | जैव विविधता संरक्षण के उद्देश्य-
जैव विविधता क्या है? | जैव विविधता के प्रकार | जैव विविधता संरक्षण के उद्देश्य-

इन्हें भी पढ़ें: जीव विज्ञान में कोशिका का सिद्धांत | आनुवंशिकी और अनुकूलन?

जैव विविधता के प्रकार | Jaiv vividhata ke prakar

जैवविविधता तीन प्रकार की हैं।

  • आनुवंशिक विविधता,
  • प्रजातीय विविधता,
  • पारितंत्र विविधता,

प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता के नाम से जाना जाता है।

अनुवांशिक जैव विविधता (Genetic Biodiversity)-

प्रत्येक प्रजाति चाहे जीवाणु हो या बड़े पादप अथवा जन्तु, आनुवंशिक सूचनाओं को संचित रखते हैं, जो जीन में संरक्षित होती हैं- उदाहरणार्थ माइकोप्लाज्मा में लगभग 450-700 जीन तथा ई० कोलाई जीवाणु में 4,000 के लगभग जीन मिलती हैं, परन्तु दूसरी ओर चावल के पौधे में 32-50 हजार जीन, ड्रोसोफिला में 13,000 जीन व मानव में 45,000 के लगभग जीन मिलती हैं।

आनुवंशिक विविधता का सम्बन्ध एक जाति में जीन की विविधता से होता है जो एलील में भिन्नता का परिणाम है।आनुवंशिक विविधता के कारण जनसंख्या पर्यावरण के अनुरूप ढल पाती है तथा प्राकृतिक वरण (Natural Selection) होता है।

जिस प्रजाति में अधिक आनुवंशिक विविधता मिलती है, वह पर्यावरण परिवर्तन के लिए अधिक अनुकूल होती है। नई प्रजातियों के विकास (स्पीसिएशन, speciation) में आनुवंशिक विविधताएँ मुख्य भूमिका निभाती हैं। यदि किसी समुदाय में जातियों की संख्या अधिक हो तो आनुवंशिक विविधता भी अधिक होती है। एक प्रजाति में आनुवंशिक विविधता पर्यावरण की भिन्नता में वृद्धि करती है।

इन्हें भी पढ़ें: कोशिका की संरचना एवं कार्य, | जंतु एवं पादप कोशिका में क्या अंतर है?

जाति विविधता (caste diversity)-

जाति विविधता की पृथक् व निश्चित इकाई है। प्रत्येक जाति इकोसिस्टम अथवा पारितन्त्र में महत्त्वपूर्ण है, अत: किसी भी जाति की विलुप्तता पूरे पारितन्त्र पर प्रभाव डालती है। जाति विविधता किसी निश्चित क्षेत्र के अन्दर जातियों में विभिन्नता है। जाति की संख्या प्रति इकाई क्षेत्र को जाति धन्यता (species richness) कहते हैं। जितनी जाति धन्यता अधिक होती है उतनी ही जाति विविधता अधिक होती है। प्रत्येक जाति के जीवों की संख्या भिन्न हो सकती है। इससे समानता (equability) पर प्रभाव पड़ता है।

समुदाय व पारितन्त्र विविधता (Community and Ecosystem Diversity) –

समुदाय के स्तर पर पारितन्त्र में विविधता तीन प्रकार की होती है—

  1. एल्फा विविधता (Alpha Variety) — यह विविधता समुदाय के अन्दर होती है। इस प्रकार की विविधता एक ही आवास व समुदाय में मिलने वाले जीवों के मध्य मिलती है। समुदाय आवास बदलते ही जाति भी बदल जाती है।
  2. बीटा विविधता (beta variety) – समुदायों व प्रवासों के मध्य बदलते जाति के विभव को बीटा विविधता कहते हैं। समुदायों में विभिन्न जातियों के संघटन में भिन्नता मिलती है।
  3. गामा विविधता (Gamma Variation)- भौगोलिक क्षेत्रों में मिलने वाली सभी प्रकार की जैव विविधता को गामा विविधता कहते हैं।

जैव विविधता संरक्षण के उद्देश्य | jaiv vividhata sanrakshan ke udesya

  • जैवविविधता पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में सहायक होती है।
  • सभी जीवों के जीन पूल को सुरक्षित व संरक्षित करना।
  • प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि से राहत प्रदान करती है।
  • समस्त उपस्थित पादप प्रजातियों का सदुपयोग मानव हित में करना।
  • संकटग्रस्त तथा दुर्लभ पादप प्रजातियों की हानि पहुँचाने वाले कारकों से रक्षा करना।
  • प्राकृतिक सौन्दर्य बनाए रखना।
  • जैवविविधता हमारे भोजन, कपड़ा, औषधीय, ईंधन आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का बिना वन्य जीवों को हानि पहुँचाए उपयोग करना।

इन्हें भी पढ़ें: जटिल ऊतक किसे कहते हैं? | जटिल ऊतक के प्रकार?

प्रश्न और उत्तर (FAQ)-

जैव विविधता से क्या तात्पर्य है?

जैव विविधता (Biodiversity ) से तात्पर्य: किसी भी निश्चित प्रकृति क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव जंतुओं तथा पेड़ पौधों की अनेक प्रजातियों की विविधता तथा संख्या को उस स्थान विशेष की जैव विविधता (Biodiversity) कहते हैं।

जैव विविधता शब्द किसने दिया।

जैव विविधता शब्द का प्रयोग कुछ वर्षों से शुरू हुआ है। ये जैवमण्डल में पाए जाने वाले पौधों, जन्तुओं तथा सूक्ष्म जीवों के मध्य परस्पर विभिन्नता को दर्शाता है

भारतीय जैव विविधता दिवस कब मनाया जाता है?

22 मई

जैव विविधता क्यों कहा जाता है?

जैव विविधता, जिसे जैविक विविधता भी कहा जाता है, पृथ्वी पर किसी स्थान पर पाए जाने वाले जीवन की विविधता है या, अक्सर, पृथ्वी पर जीवन की कुल विविधता। … जैव विविधता में प्रत्येक प्रजाति के भीतर आनुवंशिक विविधता और प्रजातियों द्वारा निर्मित पारिस्थितिक तंत्र की विविधता भी शामिल है।

जैव विविधता और स्थिरता क्या है?

जैव विविधता का सतत उपयोग। जैव विविधता का स्थायी तरीके से उपयोग करने का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग उस दर पर करना जिससे पृथ्वी उनका नवीनीकरण कर सके। यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि हम वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों की जरूरतों को पूरा करते हैं।

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