नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब उम्मीद करता हूँ सब अच्छे ही होंगे। दोस्तों आज आपके लिए खास एक महत्वपूर्ण विषय लाए हैं जिसका नाम है हाइड्रोमीटर। हाइड्रोमीटर क्या है, क्या इसकी प्रक्रिया है, किस प्रकार यह सेल की ग्रैविटी मापता है। तो चलिए शुरू करते हैं।
हाइड्रोमीटर
हाइड्रोमीटर एक छड़ नुमा यंत्र होता है। इसका अगला हिस्सा रबड़ का बना होता है बीच का हिस्सा ग्लास का बना होता है जिसमें हाइड्रोमीटर लगा होता है तथा पिछले हिस्से में बल्ब लगा होता है जो रबड़ का ही बना होता है। और इस हाइड्रोमीटर से हम बैटरी की गुरुत्वाकर्षण को ज्ञात करते हैं। हाइड्रोमीटर कई रंगों में आते हैं हालाँकि आपको इससे कोई मतलब नही है। सब हाइड्रोमीटर लगभग समान ही होते हैं थोड़ा बस पैमाने से आता है बाक़ी सब बराबर होता है।

हाइड्रोमीटर का उपयोग ( How to use of Hydrometer )
हाइड्रोमीटर के बीच के हिस्से में रीडिंग लगी रहती है जिसमें 1100 से 1300 के बीच होती है और इसी के आधार पर बैटरी की gravity को ज्ञात किया जाता है।
हाइड्रोमीटर रीडिंग चार्ट
Reading | Battery Condition |
---|---|
1265-1300 | 90-100% (GOOD) |
1225-1260 | 70-85% (FAIR) |
1180-1200 | 50-70% (NOT GOOD) |
1100-1150 | less than 40% (BAD) |

इसको चेक करने के लिए इसके अगले हिस्से को बैटरी के अंदर डुबो कर इसके बल्ब को दबाकर इसके liquid को अवशोषित किया जाता है। तथा हाइड्रोमीटर में आपको रीडिंग दिखेगा तो इस प्रकार इसका चार्ज या इसकी condition पता चलती है। तो इसी तरह आप हाइड्रोमीटर का use करते हैं।

हाइड्रोमीटर के अन्य उपयोग
हाइड्रोमीटर के ज़रिए आप सेल का आंतरिक विभवान्तर(Voltage) ज्ञात कर सकते हैं। जिससे आपको यह पता चलता है कि बैटरी कितने प्रतिशत चार्ज है।
सेल का आंतरिक विभवान्तर – जिस प्रकार सेल के बाह्य मार्ग में विभवान्तर उत्पन्न होता है उसी प्रकार जब सेल से विद्युत धारा निकलती है उसी समय सेल का आंतरिक विभवान्तर उत्पन्न होता है। इसी को ही सेल का आंतरिक विभवान्तर कहते हैं।