नमस्कार दोस्तों केसे हो आप सब उम्मीद करते हैं आप सब अच्छे होंगे, तो दोस्तों आज आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण या भयावह बीमारी कैंसर के बारे में बताएंगे कि किस प्रकार इसके लक्षण होते हैं इसका उपचार होता है तो चलिये शुरू करते हैं।
कैन्सर रोग घातक है तथा मौत का प्रमुख कारण है। इसका पक्का इलाज अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा नहीं खोजा जा सका है। मानव शरीर में कोशिका वृद्धि तथा विभेदन पूर्ण रूप से नियन्त्रित व नियमित होता है। कैन्सर के संक्रमण के पश्चात् कोशिकाएँ असामान्य रूप से गुणन करती है तथा ट्यूमर (Tumor) बनाती है। ट्यूमर दो प्रकार के हो सकते हैं
- सुदम (Benign)
- दुर्दुम (malignant)
सुदम (बिनाइन ट्यूमर स्थानीय (localised) होते है। ये अपने मूल स्थान तक सीमित रहते हैं। ये शरीर के दूसरे भागों तक नहीं फैलते हैं। इनसे अधिक क्षति नहीं होती है परन्तु दम (मैलिग्नेट) ट्यूमर प्रचुरोदभव कोशिकाओं के पुंज (mass of proliferating cells) है जो नवद्रव्ययीय (Neoplastic or tumour cells) कहलाती है।
ये बहुत तेजी के साथ बढ़ती है तथा आस-पास के सामान्य ऊतकों को संक्रमित कर बहुत अधिक हानि पहुंचाती है। ये कोशिकाएँ अति सक्रिय रूप से विभाजित व वर्धित होती है. ये पोषक तत्वों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती है।
अतः सामान्य कोशिकाओं को पोषक तत्वों उचित मात्रा में नहीं मिल पाते है जिससे वे भूखी रहकर मरने लगती है। इस प्रकार के टयूमर की कोशिकाएँ रक्त द्वारा अन्य अंगों तक पहुँच जाती है, वहाँ ट्यूमर बनाती है। इसको मेटास्टेसिस (Metastasis) कहते हैं। मेलिंगनेट ट्यूमर का यह बहुत घातक तथा भयानक गुण है। इससे रोगी को बहुत दर्दनाक मृत्यु होती है जो उसके परिवारजनों के लिए अति दुखद होती है।
कैंसर के कारण (Causes of Cancer)
सामान्य कोशिकाओं का नद्रव्योय कोशिकाओं में रूपान्तरण (Transformation into neoplastic cells) को प्रेरित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं, जैसे भौतिक, रासायनिक, जैविक, आनुवंशिका ये कारक कैंसरजन (Carcinogens) कहलाते है।
X-rays, गामा Rays, जैसे आयनकारी विकिरण तथा पराबैगनी जैसे अनायनकारी विकिरण (Nonionizing radiations) DNA को क्षतिप्रसत कर देते हैं जिसे नवद्रव्ययो रूपान्तरण होता है। तम्बाकू के धुएं में उपस्थित रासायनिक कैंसरजन (Carcinogens) फेफड़े (lungs) के कैंसर को प्रेरित कर सकते हैं। कैंसर को उत्पन्न करने वाले विषाणु अर्बुदीप विषाणु (concogenic virus) कहलाते हैं।
इनमें उपस्थित जीन को विषाणुवीय अर्बुदजीन (viral oncogene) कहते हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य कोशिकाओं में उपस्थित कुछ जीन्स का पता चला है जो विशेष परिस्थितियों में सक्रिय होकर कोशिकाओं का कैसरजनों रूपान्तरण करने में सक्षम होते हैं। ये जीन कोशिकीय अर्बुदजीन (Cellular oncogene C one) of प्रोटोओकोजीन (Protooncogene) कहलाते हैं।
कैंसर अभिज्ञान तथा निदान (Cancer detection and diagnosis)
यदि आरम्भ से कैंसर का पता चल जाये तो इसका उपचार सफलतापूर्वक किया जा सकता है। कैंसर का पता ऊतकों की जीवूतिपरीक्षा (Biopsy) तथा रक्त परीक्षण द्वारा करते हैं। आन्तरिक अंगों के कैंसर का पता लगाने हेतु रेडियोग्राफी टोमोग्राफी एम० आर० आई० (Radiography using X-ray Tomography and Magnating Resonance Imaging) द्वारा किया जाता है।
इन सभी में विशेषज्ञ का अति महत्व है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही उपचार की रूपरेखा तय की जाती है। कुछ कैंसर का पता लगाने हेतु कैंसर विशिष्ट प्रतिजनों के विरुद्ध प्रतिरक्षियों का उपयोग होता है।
कैंसर का उपचार (Treatment of Cancer)
आमतौर पर कैंसर के उपचार हेतु शल्य चिकित्सा (Surgery), विकिरण चिकित्सा (Radiation thrapy) तथा इम्यूनोथेणी (Immunotraphy) तथा कौमीश्रेपी (Chemothrepy) का सहारा लिया जाता है। विकिरण चिकित्सा में ट्यूमर कोशिकाओं को विकिरण द्वारा नष्ट करते हैं।
इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि पास के ऊतक की स्वस्थ कोशिकाएँ, इससे प्रभावित न हो। कोमपी में विशिष्ट अंग के ट्यूमर में विशिष्ट दवा का प्रयोग किया जाता है। इस दवाओं के साइड इफेक्ट भी होते है। उदाहरण के लिए उल्टी, दस्त, बाल झड़ना, रक्त की कमी, कमजोरी आदि।।
आजकल इन्टरफेरॉन का प्रयोग भी कैंसर उपचार हेतु करते हैं। रोगो को प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने हेतु Wheat therapy तथा गिलोय का रस सहायक होता है। रोगी के आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। अतः परिवारजनों को चाहिए कि वे रोगी का हौसला बढ़ाये।