जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय-अन्तराल में किसी देश या राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस जनसंख्या परिवर्तन के लिए निम्नलिखित तीन घटक उत्तरदायी होते हैं।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण | Bharat mein jansankhya vriddh Ke Karan
जन्म-दर (janm dar)
एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या ‘जन्म – दर’ कहलाती है। जन्म-दर जितनी अधिक होगी जनसंख्या में उतनी ही अधिक वृद्धि होगी।
मृत्यु-दर (mrutyu dar)
एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर मरने वाले लोगों की संख्या को ‘मृत्यु – दर’ कहते हैं। यदि मृत्यु-दर जन्म-दर से अधिक होगी तो जनसंख्या वृद्धि दर कम होगी किन्तु इसकी विपरीत स्थिति में जनसंख्या में वृद्धि अंकित होगी।
प्रवसन (pravachan)
व्यक्ति का एक स्थान या प्रदेश से दूसरे प्रदेश में चले जाना ‘प्रवसन’ कहलाता है। इसके अन्तर्गत जिस प्रदेश से लोग जाते हैं उस प्रदेश की जनसंख्या में कमी आ जाती है तथा जिस प्रदेश में पहुँचते हैं उस प्रदेश की जनसंख्या में वृद्धि होने लगती है।
1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
भारत में 1951 से 1981 तक जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। 1981 में जनसंख्या वृद्धि दर धीरे-धीरे कम होने लगी है। इसका मुख्य कारण जन्म-दर में कमी आना है। क्योंकि देश में साक्षरता को बढ़ाया गया है इसलिए जनसामान्य जनसंख्या नियन्त्रण के प्रति पहले की अपेक्षा अधिक जागरूक हो गया है।
सरकार ने भी जनसंख्या नियन्त्रण के लिए कई प्रयास किए हैं। इसी कारण जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है। भारत में जहाँ 1981 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.22 थी वह 1991 में घटकर 2.4 तथा 2001 में घटकर 1.93% तथा 2011 में 1-64% रह गई है।
आयु संरचना मृत्यु दर तथा जन्मदर को परिभाषित करें?
आयु संरचना-
आयु संरचना से अभिप्राय जनसंख्या को विभिन्न आयु वर्गों में विभाजित करने से है । भारत में आयु के आधार पर जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया गया – (i) 0 से 14 वर्ष बाल जनसंख्या, (ii) 15-59 वर्ष वयस्क जनसंख्या, (iii) 60 वर्ष और उससे अधिक वृद्ध जनसंख्या।
इन तीनों वर्गों में 0 से 14 वर्ष तथा 60 वर्ष से अधिक की जनसंख्या को सम्मिलित करने पर आश्रित जनसंख्या तथा 15-59 वर्ष के आयु वर्ग को अर्जक जनसंख्या माना जाता है। अर्जक वर्ग उत्पादन कार्य करके धन अर्जित करता है। यही जनसंख्या आश्रित जनसंख्या का निर्वाह करती है।
जन्म-दर- एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों में जितने जीवित बच्चों का जन्म होता है, उसे जन्म-दर कहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जन्म दर 23 प्रति हजार है।
मृत्यु दर- एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों में मरने वालों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं। यह 2011 में 8.0 प्रति हजार है।
अन्तर्देशीय प्रवास –
यह प्रवास दो देशों के मध्य होता है। इसलिए इसे ‘अन्तर्देशीय प्रवास‘ कहते हैं। आन्तरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में कोई परिवर्तन नहीं लाता है किन्तु यह एक देश के भीतर जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है। वास्तव में प्रवास जनसंख्या परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण घटक माना जाता है।
यह केवल जनसंख्या वितरण को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि इससे आयु, लिंग एवं व्यवसाय संरचना भी प्रभावित होती है। लिंग के दृष्टिकोण से ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या की संरचना में बड़े परिवर्तन का कारण प्रवास को ही माना जाता है। भारत में ग्रामीण तथा नगरीय प्रवास से शहरों तथा नगरों की जनसंख्या में नियमित वृद्धि हुई है।
सन् 1951 में भारत में नगरीय जनसंख्या 17.29% थी जो प्रवास कारण 2011 में बढ़कर 36-34% हो गई है। इसके फलस्वरूप एक दशक 2001-2011 के अन्दर बीस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 22 हो गई है। अतः यह कहा जा सकता है कि प्रवास जनसंख्या परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण घटक है।