बायोगैस ऊर्जा (biogas energy) किसे कहते हैं? bayo gas in hindi
बायोगैस ऊर्जा (biogas energy)-
मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट तथा वनस्पतियों को वायु तथा सूर्य की रोशनी की अनुपस्थिति में सड़ाकर बायोगैस का उत्पादन किया जाता है, इसे गोबर गैस भी कहते हैं। इसमें लगभग 70 प्रतिशत मिथेन गैस तथा 40 से 45 प्रतिशत तक Co, गैस होती है। मिथेन का उपयोग घरों में खाना बनाने हेतु किया जाता है।

बायोगैस उत्पादन का सिद्धान्त (Principle of Bio-gas Production)-
बायोगैस का उत्पादन मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट (गोवर) तथा वनस्पतियों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सड़ाने से होता है। उत्पादित गैस में ज्वलनशील गैस मिथेन (methane, CH,) की मात्रा सर्वाधिक (55 से 60 प्रतिशत) होती है, तथा बाकी मात्रा Co, तथा कुछ अन्य गैसें जैसे H, H, S, CO एवं पानी होता है। इस गैस की प्रतिशत मात्रा कार्बानिक पदार्थ के प्रकार पर निर्भर करती है।
गोबर को सड़ाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और दो प्रकार के जीवाणु के समूह इसमें सहयोग करते हैं। स्लरी से प्राप्त पोषक तत्वों को जीवाणु अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं जिससे उन्हें ऊर्जा मिलती रहती है। गोबर को सड़ाने के लिए जीवाणु सेल्यूलर एन्जाइम (cellular enzyme) प्रदान करते हैं जो अघुलनशील (insoluble) तत्वों को घुलनशील (soluble) तत्वों में परिवर्तित कर देता है।
इस घुलनशील रूप को जीवाणु भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। इस तरह जीवाणु प्रक्रिया से बायोगैस प्राप्त होती है। यह प्रक्रिया दो चरणों में पूर्ण होती है । दोनों चरण विभिन्न प्रकार के जीवाणु की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होते हैं।पहले चरण में संयंत्र में गोबर डालते ही अम्लीय जीवाणु के समूह गोबर को सड़ाने की क्रिया आरम्भ कर देते हैं।
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इसी चरण में स्लरी के कार्बानिक पदार्थ अम्ल, एल्कोहल (alcohol), एल्डीहाइड (aldehyde) में परिवर्तित हो जाते हैं, प्रथम चरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्ण होता है। द्वितीय चरण में प्रथम चरण से प्राप्त पदार्थ पर मिथेन बनाने वाले जीवाणु के समूह कार्य प्रारम्भ करके उस पदार्थ को मिथेन में परिवर्तित करते हैं। इस तरह बायोगैस उत्पादन की प्रक्रिया पूर्ण होती है, सड़ा हुआ दुर्गंध रहित गोबर बायोगैस संयंत्र के निकास द्वार से बाहर निकाल कर खेतों में खाद के रूप में उपयोग कर लिया जाता है।
बायोगैस उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारक –
भौतिक परिस्थितियां (Physical Conditions)-
जीवाणु समूह गोबर सड़ाने की क्रिया करते हैं , तापमान एवं स्थानीय जलवायु जीवाणु की प्रक्रिया प्रभावित करते है, अतः भौतिक परिस्थितियां ऐसी होनी चाहिए कि जीवाणु की क्रिया की गति तेज हो। संयंत्र के अन्दर तापमान 35 से 40 ° C के बीच इसीलिए रखा जाता है क्योंकि इस तापमान पर जीवाणु क्रिया में तेजी आने से अधिक मात्रा में बायोगैस उत्पादन होता है।
इसलिए गर्मी के मौसम में अधिक बायोगैस उत्पादन होता है। सर्दी के मौसम में स्लरी का मिश्रण गर्म पानी बनाना चाहिए और बायोगैस संयंत्र के चारों और संयंत्र इस तरह लगाना चाहिए कि संयंत्र को ज्यादा से ज्यादा सौर ऊर्जा मिले जिससे स्लरी का तापमान बढ़ेगा और जीवाणु क्रिया में तेजी आएगी और बायोगैस उत्पादन अधिक होगा।
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हवा तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति (Absence of Air and Oxygen)-
बायोगैस उत्पादन के लिए गोबर को हवा तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सड़ाया जाता है, क्योंकि मिथेनोजेनिक जीवाणु हवा की अनुपस्थिति में तेजी से क्रिया करते हुए मिथेन गैस अधिक मात्रा में बनाते हैं। यदि संग्रहक में हवा या ऑक्सीजन होगी तो बायोगैस में co, की मात्रा बढ़ जाएगी तथा मिथेन (CH) मात्रा कम हो जाएंगी, और बायोगैस मिश्रण में मिथेन ही ज्वलनशील गैस है इसलिए संग्रहक के निर्माण के दौरान यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि वह हवा रहित हो।
स्लरी का pH मान (pH value of Slurry) –
सूक्ष्म जीवाणु प्रतिक्रिया के लिए वातावरण उदासीन या क्षारीय होना आवश्यक है। स्लरी का pH मान 6.5 से 8.5 के बीच या 7 रखा जाता है। अन्यथा बायोगैस उत्पादन घट जाएगा। पानी और गोबर का मिश्रण 1:1 के अनुपात में बनाया जाता है, यदि स्लरी अम्लीय (acidic) हो जाए तो उसमें क्षारीय पदार्थ डालकर pH का मान सही किया जाता है, परन्तु यदि स्लरीक्षारीय हो जाए तो उसमे अम्लीय पदार्थ नही डालना चाहिए।
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प्रश्न ओर उत्तर (FAQ)
बायोगैस ऊर्जा किसे कहते हैं?
मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट तथा वनस्पतियों को वायु तथा सूर्य की रोशनी की अनुपस्थिति में सड़ाकर बायोगैस का उत्पादन किया जाता है, इसे गोबर गैस भी कहते हैं।
बायोगैस उत्पादन का सिद्धान्त क्या है?
बायोगैस का उत्पादन मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट (गोवर) तथा वनस्पतियों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सड़ाने से होता है। उत्पादित गैस में ज्वलनशील गैस मिथेन (methane, CH,) की मात्रा सर्वाधिक (55 से 60 प्रतिशत) होती है
बायोगैस के तीन लाभ क्या है?
बायोगैस ऊर्जा (biogas energy) से बिजली (Electricity) का बल्ब, डीजल पम्प आदि चलाये जा सकते हैं, जिससे विद्युत, महंगे डीजल का व्यय (Cost) को कम किया जा सकता है। बायोगैस का रख-रखाव का खर्च बहुत ही कम होता है। तीन घन मीटर के एक बायोगैस में प्रतिदिन 20 से 25 किलो गोबर की आवश्यकता होती है, जो कि चार से छह पशु (गाय, बैल, भैंस) से आसानी से प्राप्त हो सकता है।
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