नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम साक्षी है। और मैं आपको इस लेख में असंगजनन क्या है? तथा उसके कुछ उदाहरण सहित आपको कुछ जानकारियां देना चाहती हूं। और साथ ही आपको असंगजनक के बारे में भी स्पष्ट कराऊंगी। जिसे कि मैंने निम्नलिखित के द्वारा स्पष्ट किया है जो कि दोस्तों आप सभी को निम्नलिखित देखने को मिलेगा।
असंगजनन (Apomixis) क्या है? |
कुछ पौधों के जीवन चक्र में युग्मक संलयन (syngamy) की अनुपस्थिति में ही एक नए पौधे का निर्माण हो जाता है तो इस प्रक्रिया को ही असंगजनन (Apomixis) कहते हैं। अथवा अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) नहीं होता है तथा उनकी अनुपस्थिति में ही एक नए पौधे का निर्माण हो जाता है।

असंगजनन के उदाहरण
नींबू (lemon), नागफनी (hawthorn), क्रेपिस (krepish)आदि।
असंगजनन की खोज
असंगजनन की खोज विंकलर (winkler 1908 )में की थी। और उन्होंने बताया कि असंगजनन प्राय: अनिषेकबीजता (Agamospermy) के कारण होता है। और असंगजनन की प्रक्रिया एक अलैंगिक जनन (asexual reproduction)की विधि को अपनाता है। तथा जो जातियां असंगजनन की प्रक्रिया को प्रदर्शित करती है या प्रकट करती है वह जातियां असंगजनक कहलाती है।
असंगजनन की यह प्रक्रिया लगभग 300 से अधिक पादप प्रजातियों में देखने को मिली है जिसमें की मुख्य पादप प्रजातिया एस्ट्रेसी, पोएसी और रोजेसी कुल के पादप प्रमुख है। और साथ ही हमें यह जानकारी भी मिली कि पोएसी कुल में 125 से अधिक जातियों में असंगजनन प्रक्रिया ज्ञात होती है। जिसमें उपस्थित प्रमुख वंश है- डाइकेनथियम, एरोग्रोस्टिस, पेनिसिटम और पोआ।
असंगजनन का महत्वपूर्ण लाभ
यदि एक संकर अर्थात (बीज) को असंगजनन विधी से तैयार किया जाता है तो संकर संतति में कोई भी पृथक्करण की विशिषताएं नहीं पाई जाएगी और इसके बाद प्रत्येक किसान प्रतिवर्ष फसल-दर-फसल संकर बीजों का उपयोग अपने लिए जारी रख सकते हैं तथा साथ ही प्रत्येक किसान को प्रति वर्ष संकर बीजों को खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। तथा साथ ही हम आपको यह जानकारी भी स्पष्ट करा दे की असंगजनन की प्रक्रिया जनक पौधे के गुण को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है।