
अंतः स्रावी ग्रंथियां किसे कहते हैं?
ये शरीर में पायी जाने वाली नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ (ductless glands) हैं। ये हॉर्मोन्स का स्रावण करती हैं। हॉर्मोन्स का वितरण रक्त के माध्यम से होता है। ये शरीर के अन्त: वातावरण को स्थिर बनाए रखने में एवं जैविक क्रियाओं के संचालन में महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं।
पहली अंतःस्रावी ग्रंथियां चिकित्सा का प्रयास 1889 में “चार्ल्स ब्राउन-सेक्वार्ड” द्वारा किया गया था, जिन्होंने पुरुष उम्र बढ़ने के इलाज के लिए जानवरों के वृषण से अर्क का उपयोग किया था; इसने “ऑर्गेथेरपीज़” में एक प्रचलन को प्रेरित किया जो जल्द ही फीका पड़ गया लेकिन इसके कारण एड्रेनल और थायरॉइड अर्क जो आधुनिक कोर्टिसोन और थायरॉइड हार्मोन के अग्रदूत थे।
अंतःस्रावी ग्रंथियां अधिकांश सामान्य शारीरिक कार्यों को विनियमित करने के लिए हार्मोन का स्राव करती हैं। ग्रंथियां हार्मोन का निर्माण करती हैं जिन्हें तब रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में भेजा जाता है। अंतःस्रावी तंत्र की ग्रंथियों में हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड, पैराथायरायड, वृषण, अंडाशय, अधिवृक्क ग्रंथि और अग्न्याशय शामिल हैं।
अंतःस्रावी तंत्र मुख्य रूप से ग्रंथियों से बना होता है जो हार्मोन नामक रासायनिक संदेशवाहक उत्पन्न करते हैं। अंतःस्रावी तंत्र की ग्रंथियों में पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड ग्रंथि, पैराथायरायड ग्रंथियां, थाइमस और अधिवृक्क ग्रंथियां शामिल हैं। अन्य ग्रंथियां भी अंतःस्रावी तंत्र के भीतर शामिल हैं क्योंकि उनमें अंतःस्रावी ऊतक होते हैं जो हार्मोन को स्रावित करते हैं। इनमें अग्न्याशय, अंडाशय और वृषण शामिल हैं। अंतःस्रावी और तंत्रिका तंत्र एक साथ बहुत मिलकर काम करते हैं। मस्तिष्क लगातार अंतःस्रावी तंत्र को निर्देश भेजता है, और बदले में अंतःस्रावी ग्रंथियों से प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। इस घनिष्ठ संबंध के कारण, तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र को न्यूरोएंडोक्राइन सिस्टम कहा जाता है।

थाइरॉइड ग्रन्थि-
यह स्वर यन्त्र के पार्श्व – अधर तल पर स्थित द्विपालिक (bilobed) ग्रन्थि है। इसकी रचना अनेक छोटे-छोटे पिण्डकों (lobules) से होती है जिन्हें एक प्रकार का संयोजी ऊतक बाँधे रहता है। पिण्डकों में पारदर्शक तथा कोलॉइडी (colloidal) तरल पदार्थ थायरोग्लोब्यूलिन (thyroglobulin) होता है। इसमें मुख्य रूप से थायरॉक्सिन (thyroxine) हॉमोन होता है। यह हॉर्मोन शरीर की उपापचयी (metabolic) क्रियाओं का नियमन तथा नियन्त्रण करता है। इस हॉर्मोन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-
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- शरीर में उपापचय की दर को बनाए रखता है। प्रोटीन संश्लेषण, ग्लूकोस की खपत तथा हृदय स्पन्दन की दर को बढ़ाता है।
- उभयचरों में कायान्तरण को प्रेरित करता है।
- शीत रुधिर वाले जन्तुओं में त्वक्पतन (moulting) को नियन्त्रित रखता है।
लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ –
अग्न्याशय (pancreas) एक मिश्रित ग्रन्थि है। इसके अग्न्याशयिक पिण्डक पाचक रस स्रावित करते हैं। यह ग्रन्थि का बहिःस्रावी (exocrine) भाग होता है। इसके बीच-बीच में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं के समूह लैंगरहैन्स के द्वीप (islets of Langerhans) होते हैं।
इनके अन्तःस्रावी होने के कारण अग्न्याशय को मिश्रित ग्रन्थि कहते हैं। लैंगरहैन्स की द्वीपिकाओं में तीन प्रकार की कोशिकाएँ – कोशिकाएँ, B- कोशिकाएँ तथा 6-कोशिकाएँ होती हैं। तथा B- कोशिकाओं से क्रमश: ग्लूकैगॉन (glucagon) तथा इन्सुलिन (insulin) नामक हॉर्मोन्स बनते हैं , जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स के उपापचय (metabolism) पर नियन्त्रण रखते हैं।
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प्रश्न ओर उत्तर (FAQ)
अंत स्रावी ग्रंथि कितने प्रकार की होती है?
ग्रंथियों की सूची
1) पियूष ग्रंथि
2) थायराइड ग्रंथि
3) पैराथाइराइड ग्रंथि
4) लसिका ग्रंथि
5) अधिवृवक
6) अग्नाशय
7) डिंबग्रंथि
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अंत स्रावी ग्रंथियां कौन कौन सी है?
अंतःस्रावी तंत्र
1) गावदुम ग्रंथि
2) पीयूष ग्रंथि
3) अवटु ग्रंथि
4) बाल्यग्रंथि थायमस
5) आधिवृक्क ग्रंथि
6) अग्न्याशय
7) अंडाशय
8) वृषण
अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी में आपका कोई सवाल ही तो नीचे कमेन्ट मे बताए हम उसका उत्तर आपको रिप्लाई में जरूर देंगे।
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