अम्लीय वर्षा से तात्पर्य: वायुमंडल जल वाष्प के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric acid) व नाइट्रिक एसिड (Nitric acid) का निर्माण करती हैं तथा यह अम्लश जल के साथ पृथ्वी के धरातल पर पहुंच जाता है, तो इस प्रकार की वर्षा को ही अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा (Acid rain), प्राकॄतिक रूप से ही अम्लीय होती है।
अम्लीय वर्षा क्या है?
वायु-मण्डल में संचित कार्बन-डाईऑक्साइड, सल्फर-डाईऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड वर्षा के दौरान वर्षा जल से क्रिया करते हैं, जिनके परिणामस्वरूप वे वर्षा जल को अम्लीय जल में परिवर्तित कर देते हैं। यही अम्लीय वर्षा (acid rain) कहलाती है। वर्षा जल के साथ मुख्यतया सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अवक्षेपण को अम्लीय वर्षा कहते हैं।

अम्लीय वर्षा के कारण (Causes of Acid Rain)
सल्फर-डाईऑक्साइड –
वर्षा जल की बढ़ती अम्लीयता का मुख्य कारण सल्फर-डाईऑक्साइड गैस है जो ताप विद्युत संयंत्रों, तांबा और निकिल के प्रगालकों और जीवाश्म ईंधन जलाने वाले गांवों तथा शहरी क्षेत्रों में निकलती है। ये गैस निरंतर वातावरण में ऊपर पहुंचती रहती है और वातावरण को दूषित करने का मुख्य कारक यही है।
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में यह गैस हवा में उपस्थित नमी से क्रिया करती है, जिसके फलस्वरूप सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण होता है। यदि हवा में कुछ मात्रा में अमोनिया गैस उपस्थित होती है,
तो कुछ अम्ल में इससे क्रिया करके अमोनियम सल्फेट में बदल जाते है। वायुमण्डल सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ यह रसायन, कणों और वाष्प के रूप में पैदा हो जाता है। जल में मिलने से रसायन घुल जाते हैं और वर्षा या बर्फ के रूप में धरती पर गिरने लगते हैं।
नाइट्रोजन के ऑक्साइड-
इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन के ऑक्साइड भी अम्लीयता में वृद्धि करते हैं जो विद्युत संयंत्रों, ऑटोमोबाइलों का धुआं और स्पेस हीटरों से निकलते रहते हैं।
सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइडों का जब ऑक्सीकरण होता है तब गंधक का अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनता है। वस्तुतः इन्हीं अम्लों के कारण जल और हिम अम्लीय हो जाते हैं। यही अम्ल वर्षा जल या हिम के पिघलने के साथ धरती पर आकर जैव-मण्डल को हानि पहुंचाते हैं।
ओजोन व अधजले हाइड्रोकार्बन –
ओजोन एवं अधजले हाइड्रोकार्बन भी वायुमण्डल की अम्लीयता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। अधजले हाइड्रोकार्बन प्रकाश की उपस्थिति में रसायनिक प्रक्रियाओं के फलस्वरूप ओजोन में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे वायुमण्डल में अम्लीय प्रदूषण होता रहता है। पर्यावरण में यह वर्षा के रूप में ही नहीं वरन् कोहरा, बादल एवं हिमपात के रूप में भी गिर सकता है।
अम्लीय वर्षा का नियंत्रण (Measures to Control Acid Rain) –
- कई वैज्ञानिकों ने तो किसी किसी नदियों में चूना डालकर अम्लों के प्रभाव को लगभग कुछ सीमा तक खत्म करने में भी सफलता पाई है। ओर किसान भी अपने खेतों में चूने का छिड़काव करते है, जब उनके खेतों की मिट्टी अधिक अम्लीय हो गई है।
- अम्ल प्रदूषण को अपेक्षाकृत कम गंधक युक्त कोयले का उपयोग करने तथा संयंत्रों में ईंधन के जलाने की प्रक्रिया को समुचित तरीके से नियंत्रित करके काफी कम किया जा सकता है।
- अम्ल, प्रदूषण करने वाली गैसें , नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड तथा अधजले हाइड्रोकार्बनों को प्रभावहीन करने वाले यौगिकों में बदलने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
- कुछ चिमनियों में अवक्षेपित भी प्रयोग किए जा रहे हैं जो गैसों के साथ निकलने वाले पदार्थों को काफी हद तक चिमनी से बाहर नहीं निकलने देते।
इन्हें भी पढ़ें: