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अद्भुत शनि | कक्षा-10 साहित्यिक गद्यांश (450 से 700 शब्द)

शनि हमारे सौरमण्डल का सबसे सुन्दर ग्रह है। सौरमण्डल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि का दूसरा स्थान है। यह ग्रह हमारी पृथ्वी से करीब 750 गुना बड़ा है। सूर्य से शनि की दूरी 143 करोड़ किलोमीटर है। हमारी पृथ्वी सूर्य से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।

इस प्रकार शनि ग्रह पृथ्वी की अपेक्षा दस गुना अधिक दूर है। इसे आकाश में नंगी आँखों से भी पहचाना जा सकता है। ज्योतिषियों ने इस ग्रह के बारे में कई अंधविश्वास पैदा कर दिए हैं। उनके अनुसार यह ग्रह इतना अशुभ है कि जिस राशि में इसका निवास होता है, यह उस राशि पर भयंकर प्रभाव डालता है।

काफी समय तक यह उस राशि का पीछा नहीं छोड़ता। ग्रहों के क्रमानुसार सौरमण्डल में शनि का स्थान छठे नम्बर पर है। यह बृहस्पति और यूरेनस के मध्य सूर्य की परिक्रमा करता है। यह ग्रह अत्यन्त मन्द गति से सूर्य के चारों ओर करीब तीस वर्ष में एक चक्कर पूरा करता है।

शनि का दिन हमारे दिन से छोटा होता है। शनि अत्यन्त ठण्डा ग्रह है। शनि के का तापमान शून्य से 150° सेण्टीग्रेड नीचे रहता है। अतः यहाँ जीवन सम्भव नहीं वायुमण्डल है। शनि का सबसे बड़ा चन्द्र टाइटन है। यह उपग्रह हमारे उपग्रह चन्द्रमा से काफी बड़ा है।

टाइटन की अद्भुत चीज इसका वायुमण्डल है। इसके वायुमण्डल में मीथेन गैस पर्याप्त मात्रा में है। शनि को दूरबीन से देखा जाए तो इसके चारों ओर वलय या घेरे दिखाई देते हैं। इन वलयों या कंकड़ों से इसकी सुन्दरता काफी बढ़ जाती है। शनि जितने सुन्दर और स्पष्ट वलय किसी ग्रह के नहीं हैं।

प्रश्न: (क) शनि सूर्य का एक चक्कर कितने समय में पूरा करता है?

प्रश्न: (ख) शनि पर जीवन सम्भव क्यों नहीं है?

प्रश्न: (ग) ‘टाइटन’ क्यों अद्भुत है?

प्रश्न: (घ) शनि सबसे सुन्दर ग्रह कैसे है?

प्रश्न: (ङ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।

उत्तर: (क) शनि सूर्य का एक चक्कर लगभग 30 वर्ष में पूरा करता है।

उत्तर: (ख) शनि अत्यन्त ठण्डा ग्रह है और तापमान शून्य से 150° सेण्टीग्रेड नीचे रहता है; अतः यहाँ जीवन सम्भव नहीं है।

उत्तर: (ग) ‘टाइटन’ अपने वायुमण्डल के कारण अद्भुत है। इसके वायुमण्डल में मीथेन गैस पर्याप्त मात्रा में है। यहाँ मीथेन पानी की तरह विद्यमान है।

उत्तर: (घ) शनि के चारों ओर सुन्दर और स्पष्ट वलय अथवा घेरे हैं, जो इसकी सुन्दरता को बढ़ाते हैं।

उत्तर: (ङ) शीर्षक – ‘अद्भुत शनि’।

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