आदर्श समाज के गुण | कक्षा-12 अपठित गद्यांश
शान्ति, सद्भावना, सदाशयता एवं परहित निरन्तरता आदर्श समाज के प्रमुख गुण हैं। भारतीय मनीषा ने इन मानव सुलभ विशेषताओं पर सदैव विचार किया है। समाज , सही अर्थों में समाज बना रहे, इसके लिए उसके प्रत्येक घटक-प्रत्येक व्यक्ति को हितभाषी, मितभाषी और ऋतभाषी बने रहने के लिए निर्दिष्ट किया गया है।
विश्व का प्रत्येक धर्मग्रन्थ, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस ओर संकेत करता है। सही बोलने, कम बोलने और भली बात करने से प्रत्येक व्यक्ति को उसका आदर्श रूप प्राप्त हो जाता है। ऐसा होने पर किसी भी देश में कलह के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता है।
परन्तु हाल के कुछ वर्षों से हमारे देश में भय, सन्देह, भ्रम एवं आतंक के भावों को जन्म देनेवाले तत्त्वों ने अपना निलय बना लिया है। समस्त नैतिकता को दरकिनार कर इन सबने राजनीति, धर्म एवं सभा-गोष्ठियों में अपना अस्तित्व कायम कर रखा है। हमें अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए सदैव अपनी ग्रीवा को उन्नत रखते हुए इनसे दो-दो हाथ होते रहना पड़ेगा।
प्रश्न: (क) भारतीय मनीषा को परिभाषित करते हुए उसके द्वारा विचारित आदर्श समाज के गुणों को अपनी भाषा में बताइए।
प्रश्न: (ख) हितभाषी , मितभाषी और ऋतभाषी का सरल शब्दों में रूपान्तरण कीजिए।
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प्रश्न: (ग) हमारे देश को अशान्त करने के लिए किन तत्त्वों ने क्या – क्या करना चाहा है?
प्रश्न: (घ) हमें अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए क्या करना होगा?
प्रश्न: (ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर: (क) शान्ति, सद्भावना, सदाशयता एवं परहित निरन्तरता से परिपूर्ण मनीषा ही भारतीय मनीषा है। समाज में शान्ति की स्थापना, लोगों के हृदयों में सद्भावना (प्रेम), उच्चविचार और निरन्तर दूसरों के हित के विषय में सोचना ही भारतीय मनीषा द्वारा विचारित आदर्श समाज के गुण हैं।
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उत्तर: (ख) हितभाषी, मितभाषी और ऋतभाषी शब्दों का सरल रूपान्तरण क्रमश: इस प्रकार है- कल्याणकारी बातें बोलनेवाला, कम बोलनेवाला और सत्य बोलनेवाला।
उत्तर: (ग) हमारे देश को अशान्त करने के लिए भय सन्देह, भ्रम एवं आतंक के भावों को जन्म देनेवाले तत्त्वों ने समस्त नैतिकता को दरकिनार कर राजनीति, धर्म और सभा-गोष्ठियों में अपना अस्तित्व कायम करना चाहा है।
उत्तर: (घ) हमें अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए भय, सन्देह, भ्रम एवं आतंक के भावों को जन्म देनेवाले तत्त्वों से दो-दो हाथ करते रहना होगा।
उत्तर: (ङ) शीर्षक – ‘भारतीय मनीषा’ अथवा ‘आदर्श समाज के गुण।’
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